राजनीतिक गलियारों में ‘महारानी’ के नाम से जानी जाने वाली वसुंधरा राजे आज यानी की 08 मार्च को अपना 72वां जन्मदिन मना रही हैं। वसुंधरा राजे ने मध्यप्रदेश से अपना सियासी सफर शुरू किया था। वह राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और राजस्थान की सत्ता पर राज किया। वसुंधरा राजे का सियासी सफर काफी लंबा रहा। वह ग्वालियर के महाराजा विजयाराजे सिंधिया-शिंदे और जिवाजीराव सिंधिया-शिंदे की बेटी हैं। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर वसुंधरा राजे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
मुंबई में 08 मार्च 1956 को वसुंधरा राजे का जन्म हुआ था। उनका साल 1972 में धौलपुर के राजघराने के हेमंत सिंह से शादी की थी। लेकिन शादी के सिर्फ 1 साल बाद ही दोनों ने अलग होने का फैसला कर दिया था। पति से अलग होकर वसुंधरा राजे अपने बेटे दुष्यंत के साथ अपने मायके ग्वालियर में रहने लगीं। वहीं उनकी मां विजया राजे बीजेपी से जुड़ी थी। ऐसे में उन्होंने भी अपनी मां की तरह बीजेपी पार्टी में शामिल होने का फैसला लिया।
सियासी सफर
भले ही राजस्थान में वसुंधरा राजे का सियासी सफर लंबा रहा हो, लेकिन राजे का राजनीतिक सफर उनके मायके से शुरू हुआ था। वह ग्वालियर के राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। साल 2002 में भैरों सिंह शेखावत राजस्थान में जनसंघ और बीजेपी के बड़े नेता हुआ करते थे। जब वह उपराष्ट्रपति बने तो राज्य में बीजेपी के कई नेताओं के लिए यह आगे बढ़ने का मौका हो गया था। वहीं दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी ने शेखावत से राजस्थान के पार्टी अध्यक्ष के बारे में पूछा। तो कई नामों पर चर्चा हुई। इस दौरान शेखावत ने एक नाम लिया तो वाजपेयी जी चौंक गए। यह नाम धौलपुर की महारानी वसुंधरा राजे का था।
पहला चुनाव
साल 1984 में वसुंधरा राजे ने राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव भिंड से लड़ा और इस दौरान उनको हार का सामना करना पड़ा था। फिर राज्य के कद्दावर नेता भैरो सिंह शेखावत की सलाह पर राजे ने साल 1985 में धौलपुर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस जीत के बाद वह राजस्थान भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष बन गईं। इसके बाद उन्होंने राज्य में राजस्थान की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बनानी शुरूकर दी।
अटल सरकार में संभाला अहम पद
वसुंधरा राजे ने झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र को अपनी सियासी कर्मभूमि बनाया। इस दौरान राजे 9वीं लोकसभा से लेकर 13वीं लोकसभा तक लगातार 5 बार सांसद चुनी गईं। वहीं उनकी लोकप्रियता को देखते हुए वाजपेयी सरकार में उनको 1998-1999 के बीचत अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। फिर उनको विदेश राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया। बाद में उनको MSMI मंत्रालय का भी कार्यभार संभाला। साल 2002 में भैरोसिंह शेखावत की सलाह पर राजे राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हुईं। उस दौरान राज्य में कांग्रेस की सरकार थी।
राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री
वसुंधरा राजे ने राजस्थान राज्य की बागडोर संभाली और पूरे राज्य का दौरा किया और भाजपा कार्यकर्ताओं को संगठित किया। उनकी मेहनत का नतीजा यह रहा कि साल 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में 110 सीटें जीती थीं। उनका राजनीतिक सफर बहुत सीधा-सादा लगता है, लेकिन अपने पैर सत्ता के गलियारों में जमाने के लिए नेताओं को भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। उस दौरान भाजपा के दो कद्दावर नेता भैरों सिंह शेखावत और जसवंत सिंह थे।
वहीं पार्टी की जीत पर भैरों सिंह को डिप्टी सीएम बनाया गया और जसवंत सिंह केंद्रीय मंत्री बने। वहीं वसुंधरा राजे को राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद साल 2013 में भी राजे को राजस्थान का सीएम बनाया गया। वहीं उनका बेटा दुष्यंत सिंह भी राजनीति में हैं।
‘सियासी शहीद’
बता दें कि साल 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की थी। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वसुंधरा राजे ही राज्य की मुख्यमंत्री बनेंगी। लेकिन पर्ची में भजनलाल शर्मा का नाम लेकर राजनाथ सिंह ने पर्ची वसुंधरा राजे के हाथ में थमा दी। जिसको खोलते ही ‘महारानी’ की हवाइयां उड़ गईं। भले ही वसुंधरा राजे राज्य की सीएम नहीं बनी, लेकिन वह राजस्थान में अपनी पकड़ मजबूत रखती हैं।
