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कमर भर पानी में चलने को मजबूर शिक्षक


बिहार सरकार ने जिला प्रशासन को स्पष्ट कहा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जहां भी जाने लायक स्थिति ना हो, वहां या तो स्कूल बंद कर दिए जाएं या शिक्षकों, छात्रों और स्कूल के कर्मचारियों के लिए नाव की व्यवस्था की जाए।नेपाल में हुई भारी बारिश का असर दरभंगा जिला में साफ-साफ दिखने लगा है। जमालपुर के भूभौल गांव में देर रात कोसी के तटबंध के टूटने के बाद दर्जनो गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है जिससे ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित दिखने लगा है। सोमवार इसी बाढ़ ग्रस्त इलाके के तिकेश्वरस्थान थाना क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अपनी जान को जोखिम में डालकर मूल्यांकन करने अपने स्कूल निकल पड़े है।
बाढ़ के पानी ने अपना डेरा जमा लिया है
मूल्यांकन कार्य मे लगे शिक्षक अपने माथे पर जांचने वाली कॉपी और हाथों में अपने चप्पल जूते और कंधे पर अपना बैंग टांगकर जान को जोखिम में डालते हुए अपने ड्यूटी का पालन करने जाते दिख रहे हैं। इस तस्वीर को देखकर समझा जा सकता है कि शिक्षकों में विभाग के अधिकारियों का खौफ कितना ज्यादा भरा है। नौकरी बचाने लिए शिक्षक बाढ़ के पानी में चलने को मजबूर दिखे। उन्हें यह भी स्कूल जाते वक्त नहीं पता था कि स्कूल में बैठने के जगह भी सुरक्षित है कि वहां भी बाढ़ के पानी ने अपना डेरा जमा लिया है।
बिहार सरकार के निर्देशों की अनदेखी की जा रही
बता दें कि बिहार सरकार ने जिला प्रशासन को स्पष्ट कहा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जहां भी जाने लायक स्थिति ना हो, वहां या तो स्कूल बंद कर दिए जाएं या शिक्षकों, छात्रों और स्कूल के कर्मचारियों के लिए नाव की व्यवस्था की जाए। उस नाव पर यात्रियों की संख्या के हिसाब से लाइफ जैकेट अनिवार्य किया जाए। लेकिन, कई इलाकों में बिहार सरकार के निर्देशों की अनदेखी की जा रही है।

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