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BRICS समिट में Modi, Putin,और Jinping के साथ नई करेंसी पर चर्चा


रूस के कजान शहर में 22 से 24 अक्तूबर तक 16वें BRICS समिट का आयोजन होने जा रहा है। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित BRICS देशों के नेता शामिल होंगे। इस बार का समिट खासतौर पर नई रिजर्व करेंसी के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने का प्रयास है।
BRICS देशों की नई करेंसी की आवश्यकता
BRICS देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) ने हाल के वर्षों में वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना किया है। अमेरिका की विदेश नीतियों के चलते, इन देशों को एक साझा रिजर्व करेंसी की आवश्यकता महसूस हो रही है। वर्तमान में, वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अमेरिकी डॉलर का प्रभुत्व है, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार डॉलर में होता है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने 2022 में 14वें BRICS समिट के दौरान इस नई करेंसी के विचार को पहली बार प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था कि BRICS देशों को एक नई वैश्विक रिजर्व करेंसी की आवश्यकता है। इसके बाद, अप्रैल 2023 में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, यह कहते हुए कि BRICS बैंक जैसे संस्थान के माध्यम से नई करेंसी का प्रयोग किया जा सकता है।
समिट में चर्चा के प्रमुख मुद्दे
इस समिट में BRICS देशों के बीच नई करेंसी के संभावित निर्माण पर चर्चा की जाएगी। इस गोल्ड-बैक BRICS करेंसी का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में एक समानांतर विकल्प प्रस्तुत करना है। यदि BRICS देश इस नई करेंसी के उपयोग पर सहमत होते हैं, तो यह वैश्विक बाजार में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
अमेरिकी डॉलर पर संभावित प्रभाव
अमेरिकी डॉलर दशकों से वैश्विक बाजार में प्रमुखता रखता है। लेकिन, अगर BRICS देश अपनी नई करेंसी का उपयोग बढ़ाने लगते हैं, तो इससे डॉलर की कीमत में कमी आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिका की प्रतिबंध लगाने की ताकत भी कमजोर हो सकती है, जिससे डॉलर के वर्चस्व में कमी आएगी।
BRICS करेंसी के प्रभाव क्षेत्र
1. तेल और गैस: तेल का अधिकांश कारोबार वर्तमान में डॉलर में होता है। यदि BRICS करेंसी का उपयोग किया जाता है, तो यह ऊर्जा बाजार में बदलाव ला सकता है।
2. बैंकिंग और फाइनेंस: नए वित्तीय तंत्र की स्थापना से BRICS देशों में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को एक नई दिशा मिलेगी।
3. कमोडिटीज: विभिन्न कमोडिटी ट्रेडिंग में नई करेंसी का प्रयोग करने से वैश्विक व्यापार संरचना में बदलाव संभव है।
4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार: BRICS देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई करेंसी का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे व्यापारिक संबंध और मजबूत होंगे।
5. टेक्नोलॉजी: नए वित्तीय साधनों के साथ तकनीकी क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है।
6. टूरिज्म और यात्रा: नई करेंसी के इस्तेमाल से पर्यटन उद्योग को भी लाभ हो सकता है, क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को सस्ता और सरल बना सकता है।
7. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट: विदेशी मुद्रा बाजार में भी BRICS करेंसी का प्रवेश एक नया विकल्प प्रस्तुत करेगा, जो डॉलर के प्रभाव को कम कर सकता है।
इस BRICS समिट में नई करेंसी के प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती है। अगर सदस्य देश इस दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो यह केवल BRICS देशों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन के लिए भी एक नई राह खोल सकता है। सभी नजरें इस समिट पर होंगी, क्योंकि यह भविष्य में आर्थिक संबंधों और व्यापारिक नियमों को प्रभावित कर सकता है।

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