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अजित पवार को बेनामी संपत्ति मामले में कोर्ट से क्लीनचिट


महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति मामले में क्लीन चिट दे दी है। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सिंचाई और एमएससीबी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की जांच जारी रखेगा। भले ही राज्य एजेंसियों ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की हो लेकिन मुसीबत अभी कम नहीं हुई है।महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को बेनामी संपत्ति मामले में क्लीनचिट मिल गई है लेकिन मुसीबतें अभी टली नहीं हैं। उनसे जुड़े दो राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी रहेगी। एजेंसी ने इन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। उन्हें सिर्फ इनकम टैक्स के जांचे गए बेनामी संपत्ति लेनदेन मामलों में ही राहत मिली है। राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पवार से जुड़े सिंचाई घोटाले और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाले के मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है।अजित पवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित समानांतर ईडी जांच जारी है। यह जांच ही वह आधार हैं, जिसके आधार पर ईडी ने मामले की इंवेस्टिगेशन शुरू की थी। ईडी की भाषा में, यह पुलिस-एसीबी मामले ही वे अपराध थे, जिनके आधार पर उन्होंने मामले दर्ज किए थे।
कोर्ट ने दी है क्लीनचिट
पिछले महीने, एक अपीलीय न्यायाधिकरण ने अजित पवार और उनके परिजनों को मामलों में क्लीन चिट दे दी थी। अजित और उनके परिवार पर बेनामीदारों के माध्यम से संपत्ति रखने के आरोप लगे थे। इस मामले की जांच इनकम टैक्स कर रहा था।
क्या थे अजित पवार पर आरोप
एमएससीबी घोटाले में ईडी का मामला मुंबई पुलिस की एफआईआर पर आधारित था। आरोप लगाया गया था कि चीनी सहकारी मिलों ने एमएससीबी के ऋणों का भुगतान नहीं किया और उन्हें नीलाम कर दिया गया। एमएससीबी में प्रमुख पदों पर बैठे लोगों के रिश्तेदारों या करीबी सहयोगियों ने उन मिलों को औने-पौने दामों पर खरीदा।
रोहित पवार और प्राजक्ता तानपुरे का भी नाम
ईओडब्ल्यू ने मामले में दो बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की और ईडी ने उन पर आपत्ति जताई। हालांकि, अदालत को क्लोजर रिपोर्ट पर अभी फैसला करना है। ईडी ने अजीत पवार से जुड़े होने के बाद जरंदेश्वर चीनी मिल को जब्त कर लिया था। इसने एनसीपी (एसपी) नेताओं रोहित पवार और प्राजक्ता तानपुरे की संपत्ति भी जब्त की।
एसीबी के पास ये मामला
राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के मामले की बात करें तो यह कथित विदर्भ सिंचाई विकास निगम (वीआईडीसी) घोटाले के संबंध में 2020 में दर्ज किया गया था। मामले में किसी भी वरिष्ठ राजनेता का नाम नहीं था और न ही किसी पर कोई कार्रवाई की गई। ईडी जांच का सामना कर रहे कई लोगों को अब बरी होने की उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना आधार!
सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ मामले में कहा है कि अगर कोई पूर्वगामी अपराध नहीं है, तो मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए कोई मामला नहीं हो सकता है। इस तरह के मामलों में नामित लोग मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को बंद करने की मांग कर सकते हैं, लेकिन किसी भी प्रभावशाली राजनेता ने अब तक इस तरह के आधार पर राहत नहीं मांगी है।कुछ व्यवसायियों को अदालतों से इस तरह के आधार पर राहत मिली है। 2019 में, केंद्र सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन किया है। इसमें कहा गया है कि अगर ईडी किसी मामले को बंद करना चाहती है तो उसे अंतिम निर्धारण के लिए ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट जमा करनी होगी। पहले, ईडी वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद आंतरिक रूप से मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को समाप्त कर सकता था।

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