जल बंटवारे को लेकर हरियाणा के साथ बढ़ते तनाव के बीच, पंजाब में सभी दलों ने शुक्रवार को एकमत होकर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के हरियाणा को अतिरिक्त 4,500 क्यूसेक पानी छोड़ने के फैसले को खारिज कर दिया। वहीं, अब जल बंटवारे के विवाद पर हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने पलटवार किया है। सैनी ने कहा कि मैं मान साहब (पंजाब के सीएम भगवंत मान) को बताना चाहता हूं कि यह पानी सिर्फ पंजाब का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। 23 अप्रैल को भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी देने का फैसला किया था, लेकिन मान सरकार ने इस फैसले का सम्मान नहीं किया। 30 अप्रैल को बीबीएमपी की बैठक में 23 अप्रैल के फैसले को लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। सैनी ने कहा कि हरियाणा को 10.67 एमएएफ पानी दिया गया है, जबकि उसे 12.55 एमएएफ पानी आवंटित किया गया है। पंजाब अपने हिस्से से ज़्यादा पानी का इस्तेमाल कर रहा है। हरियाणा को मूल रूप से आवंटित पानी से 17% कम पानी मिल रहा है। कम से कम पीने के पानी पर राजनीति तो मत करो। आज हरियाणा में पीने के पानी से जुड़ी समस्याएँ हैं। हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार पंजाब के साथ जल बंटवारे को लेकर हुए ताजा विवाद के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकती है। चौधरी ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) साझेदार राज्यों के लिए पानी का आवंटन करता है और पंजाब को इस पर आपत्ति नहीं उठानी चाहिए। उन्होंने पंजाब की भगवंत मान सरकार पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का भी आरोप लगाया। चौधरी ने कहा, “हमने मामले को बढ़ने नहीं देने का प्रयास किया था। लेकिन मान ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया।” उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार राज्य के वैध हिस्से की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मंत्री ने कहा, “अगर यह मुद्दा नहीं सुलझा तो हम उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। हमारे पास हरियाणा को मिलने वाले पानी का पूरा डेटा है। सभी प्रासंगिक तथ्य न्यायालय के समक्ष पेश किए जाएंगे।
