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तहसील परिसर में एक दर्जन से ज्यादा गावों के नक्शे गायब


पीलीभीत। पूरनपुर तहसील क्षेत्र में प्रशासनिक लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है। खमरिया पट्टी, मुजफ्फरनगर समेत लगभग एक दर्जन से अधिक गांवों के राजस्व नक्शे तहसील से गायब हैं। नक्शों के अभाव में यह तय करना मुश्किल हो गया है कि वर्तमान में गांवों में जो प्लाटिंग हो रही है वह निजी भूमि पर हो रही है या फिर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर कॉलोनी बसाई जा रही नक्शे गायब, ग्रामीणों को हो रही परेशानी नक्शे गायब, ग्रामीणों को हो रही परेशानी स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि नक्शों के गायब होने के कारण उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। चकमार्ग, खेतों के रास्ते, तालाब, सार्वजनिक भूमि और कृषि भूखंडों की सीमाएं स्पष्ट नहीं हो पा रही हैं। इससे भूमि की पैमाइश नहीं हो पा रही है और लोग अपनी ही जमीन का मालिकाना हक साबित नहीं कर पा रहे।तहसील परिसर में कार्यरत अधिवक्ताओं ने पूरे मामले पर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि नक्शों का रहस्यमय ढंग से गायब होना न केवल प्रशासनिक लापरवाही है बल्कि इसके पीछे किसी बड़ी साजिश की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अधिवक्ताओं का कहना है कि कई ग्रामीण अपनी भूमि से संबंधित दस्तावेजों को लेकर महीनों से चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पा रहा सूत्रों के अनुसार यह भी आशंका जताई जा रही है कि जानबूझकर नक्शों को गायब किया गया है ताकि सरकारी जमीनों को निजी भूमि दिखाकर कॉलोनाइजरों द्वारा अवैध रूप से प्लाटिंग की जा सके। ऐसी स्थिति में राजस्व विभाग की मिलीभगत से इन जमीनों का सौदा कर दिया गया हो, तो यह एक बड़ा घोटाला हो सकता है। इस पूरे मामले में तहसील प्रशासन की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। न तो नक्शे गायब होने की कोई एफआईआर दर्ज की गई है, न ही कोई विभागीय जांच की सूचना सार्वजनिक की गई है। इससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि कहीं न कहीं प्रशासन की लापरवाही या मिलीभगत इस गड़बड़ी का हिस्सा हो सकती है। ग्रामीणों और अधिवक्ताओं ने मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। जो अधिकारी इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही नक्शों की पुनर्स्थापना और डिजिटल रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। पूरा मामला अब जनचर्चा का विषय बन चुका है। लोग सोशल मीडिया और चाय की दुकानों से लेकर पंचायत बैठकों तक इस पर चर्चा कर रहे हैं। सभी की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। अगर समय रहते इस पर गंभीर कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला बड़ा राजनीतिक और सामाजिक विवाद बन सकता है। तहसीलदार हबीब उर रहमान ने जानकारी देते हुए बताया कि कई ग्रामों के नक्शे नहीं है। नक्शे स्कैनिंग के लिए भेजे गए है।

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