कम कर हस्तांतरण और गैर.आनुपातिक संसाधन वितरण जैसे मुद्दों को लेकर आज केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं द्वारा दिल्ली के जंतर.मंतर पर श्चलो दिल्लीश् विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है। विरोध प्रदर्शन पर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार हमारा विरोध सुनेगी और हमारा मुख्य इरादा राज्य और कन्नड़ लोगों के हितों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि जहां तक टैक्स कलेक्शन की बात है तो कर्नाटक दूसरे नंबर पर हैए महाराष्ट्र नंबर एक पर है। दरअसल इस साल कर्नाटक टैक्स के रूप में 4ण्30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान दे रहा हम टैक्स के रूप में 100 रुपए इकट्ठा करते हैं और इसे भारत सरकार को देते हैंए तो हमें केवल 12.13 रुपए ही वापस मिल रहे हैं। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक इस देश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। हम अपना अधिकार मांग रहे हैंए हम अपना हिस्सा मांग रहे हैं। हम यहां यह दिखाने आए हैं कि हम सभी यहां कर्नाटक के लोगों के लिए लड़ रहे हैं। कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस नेता दिनेश गुंडूराव ने कहा कि हमने इस सूखे की अवधि के दौरान हमारी मदद करने के लिए भारत सरकार से बार.बार गुहार लगाई है। वे हमारे प्रति पूरी तरह से उदासीन रहे हैं। हमें एक रुपया भी नहीं दिया गया। कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि हम करों के हस्तांतरणए सूखा राहत राशि जो प्रदान नहीं की गई हैए पर कन्नडिगाओं के हितों की रक्षा के लिए यहां हैं। उन्होंने कहा कि यहां चार.पांच मांगें हैंण् करों का बंटवाराए हमें सूखा राहत राशि नहीं मिल रहीण्ण्ण्केंद्र को समझना चाहिए कि कर्नाटक एक आर्थिक महाशक्ति है। इससे पहले कर्नाटक सरकार ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के मुद्दे पर केंद्र को घेरा है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय अनुदान में कमी के कारण 15वें वित्त आयोग के तहत पांच साल के दौरान राज्य को कुल 1ण्87 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने इस विसंगति को दूर करने का आग्रह किया। साथ हीए मुख्यमंत्री ने यह साफ किया कि वह या उनकी सरकारष्गरीबष् या विकास में पिछड़े उत्तरी राज्यों को अधिक धन देने के खिलाफ नहीं है।
