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माओवादी चरमपंथ प्रभावित जिलों की संख्या 72 से घटकर हुई 58


प्रभावित जिलों को वामपंथी उग्रवाद से समग्र रूप से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति व कार्य योजना के अंतर्गत एसआरई योजना के तहत विभिन्न अनुदान प्रदान किए जाते हैं। समीक्षा के बाद पता चला है कि वामपंथी चरमपंथ प्रभावित जिलों में सबसे अधिक संख्या 15 जिले छत्तीसगढ़ में है।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वामपंथी चरमपंथ (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित 10 राज्यों की व्यापक समीक्षा की है। समीक्षा के दौरान खासतौर पर विशेष वित्त पोषण योजना के तहत आने वाले जिलों के सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) की समीक्षा की गई।गृह मंत्रालय के मुताबिक, अब देश में माओवादी चरमपंथ प्रभावित जिलों की संख्या 72 से घटकर 58 रह गई है। एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों व जिलों की समीक्षा के संबंध में गृह मंत्रालय ने इसी सप्ताह प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) को एक पत्र लिखा था, जिसमें बताया गया था कि नया वर्गीकरण एक अप्रैल को नए वित्त वर्ष से प्रभावी होगा। इसके साथ ही पत्र में बताया गया है कि केंद्र व राज्यों की तरफ से सुरक्षा और विकास से संबंधित उठाए जा रहे कदमों की वजह से वामपंथी हिंसा में कमी आई है।
छत्तीसगढ़ के 15 जिले प्रभावित
प्रभावित जिलों को वामपंथी उग्रवाद से समग्र रूप से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति व कार्य योजना के अंतर्गत एसआरई योजना के तहत विभिन्न अनुदान प्रदान किए जाते हैं। समीक्षा के बाद पता चला है कि वामपंथी चरमपंथ प्रभावित जिलों में सबसे अधिक संख्या 15 जिले छत्तीसगढ़ में है। इसके बाद ओडिशा में 7, झारखंड में 5, मध्य प्रदेश में 3 और केरल, तेलंगाना व महाराष्ट्र दो-दो, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश एक-एक जिले प्रभावित हैं। मंत्रालय के मुताबिक इस श्रेणी में उन जिलों को रखा जाता है, जहां वामपंथी हिंसा लगातार बनी हुई है।
सबसे ज्यादा हिंसाग्रस्त जिले 25 से 12 हुए
हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या समीक्षा के बाद 12 रह गई है। 2021 में यह संख्या 25 थी। इस श्रेणीके 12 जिलों में से छत्तीसगढ़ में 7, ओडिशा में 2, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में एक-एक हैं।

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