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‘सिविल अस्पताल की प्रणाली में बदलाव कर बनाएंगे फूलप्रूफ


देश में इन दिनों पुणे में हुए सड़क हादसे की चर्चा हो रही है। तेज रफ्तार लग्जरी कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। कार एक 17 साल का रईसजादा चला रहा था, जो शराब के नशे में धुत था। वहीं, रईसजादे को बचाने के लिए ससून जनरल अस्पताल के डॉक्टरों ने नाबालिग के खून के नमूनों को ही बदल दिया था। यह मामला सामने आने पर राज्य मंत्री हसन मुशरिफ ने वादा किया कि वह सिविल अस्पतालों में प्रणाली को फूलप्रूफ बनाएंगे।
यह है मामला
चिकित्सा शिक्षा मंत्री गुरुवार को मुंबई में पत्रकारों से बात कर रहे थे। गौरतलब है, जांच में सामने आया था कि नाबालिग के खून के नमूनों को किसी ओर शख्स के नमूनों से बदल दिया गया था। यह सब डॉ. अजय तावरे के इशारे पर किया गया था। डॉ. तवारे के निर्देश पर किशोर के खून के नमूने कूड़ेदान में फेंक दिए गए थे और उसकी जगह किसी और व्यक्ति के नमूने लिए गए थे। सच सामने आने पर पुलिस ने ससून अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तावरे और सरकारी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हार्लोर को गिरफ्तार कर लिया था।
तीन लाख रुपये लिए
राज्य मंत्री हसन मुशरिफ ने कहा, ‘पुलिस को पता चला कि डॉ. अजय तावरे पुणे हादसे की रात छुट्टी पर थे और उन्हें किसी का फोन आया था। उन्होंने खून के नमूनों में हेरफेर करने के लिए तीन लाख रुपये लिए। फिर डॉ. हार्लोर को नमूने बदलने को कहा। ऐसा करना पूरी तरह से गलत था।
खून का नमूना नाबालिग की मां का
पुलिस ने गुरुवार को यहां एक अदालत को बताया था कि किशोर के खून के नमूने को महिला के खून से बदल दिया गया था, ताकि यह पता चल सके कि दुर्घटना के समय वह नशे में नहीं था। महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने दावा किया कि खून का नमूना नाबालिग की मां का था। उन्होंने आगे कहा, ‘हमें कुछ बदलाव लाने और अस्पतालों के कामकाज में बाहरी हस्तक्षेप को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। हम व्यवस्था में बदलाव करेंगे और इसे फूलप्रूफ बनाएंगे।’ उन्होंने कहा कि विभाग तावरे को अच्छा सबक भी सिखाएगा। ससून अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले को छुट्टी पर भेजे जाने के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘खून के नमूने की अदाल-बदली मामले की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टर काले ने अपनी ड्यूटी सही तरीके से नहीं निभाई। वहीं, इससे पहले डॉ. काले ने दावा किया था कि डॉ. तावरे को चिकित्सा अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार देने के आदेश मुशरिफ ने दिए थे। इस पर मंत्री ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मेरा नाम लेने से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या है पोर्श कांड?
पुणे शहर में 18-19 मई की दरम्यानी रात को करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से दौड़ाने के चक्कर में 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी। गाड़ी की टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक अपना संतुलन खोकर काफी दूर तक सड़क पर घिसटते चली गई, जिससे उस पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। बाद में विवाद बढ़ा तो कोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी थी। इसके बाद उसे पांच जून तक एक निरीक्षण गृह भेज दिया गया था। इसके अलावा इस मामले में अबतक नाबलिग के पिता और दादा को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

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