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तमिलनाडु में जातीय गणना की मांग ने पकड़ा जोर


पट्टाली मक्कल काची के नेता जीके मणि को जवाब देते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि वन्नियारों के लिए अलग आरक्षण लागू तभी संभव हो पाएगा, जब जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी।मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सहयोगियों सहित राज्य के राजनीतिक दल सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए राज्य में जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं। इसी बीच सोमवार को स्टालिन ने कहा कि सरकार विधानसभा के मौजूदा सत्र में एक प्रस्ताव लाएगी, जिसमें केंद्र से आम जनगणना के साथ-साथ जाति आधारित जनगणना कराने की आग्रह करेगी।
पीएमकी की मांग पर बोले स्टालिन
पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के नेता जीके मणि, जिन्होंने वन्नियारों के लिए अलग आरक्षण लागू करने की मांग की थी, को जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराने के बाद ही यह संभव होगा। साथ ही उन्होंने मणि को याद दिलाया कि उनकी पार्टी पीएमके केंद्र में भाजपा के सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी।स्टालिन ने कहा कि बिहार में भी जातिवार जनगणना पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि वन्नियारों के लिए आरक्षण का एक अच्छा समाधान तभी निकाला जा सकता है, जब आम जनगणना के साथ जाति आधारित जनगणना की जाए। उन्होंने कहा, ‘हमने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है जिसमें केंद्र से जनगणना कराने का अनुरोध किया जाएगा।’
जल्दबाजी में पेश किया गया था…
मणि ने कहा कि राज्य सरकार वन्नियारों के लिए आरक्षण को उसी तरह लागू कर सकती है, जैसा कि उसने मुसलमानों के लिए किया था (आंतरिक रूप से पिछड़ा वर्ग श्रेणी के चलते हुए)। इस पर कानून मंत्री एस. रघुपति ने कहा कि वन्नियारों के लिए 10.5 फीसदी आंतरिक आरक्षण को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने रद्द कर दिया था क्योंकि इसे उचित आंकड़े और सबूत के बिना जल्दबाजी में पेश किया गया था।उन्होंने कहा कि डीएमके सरकार ने न्यायमूर्ति भारतीदासन की अध्यक्षता वाली पिछड़ा वर्ग आयोग समिति को कार्यक्षेत्र दिया है और वह शिक्षा एवं रोजगार पर आंकड़े भी एकत्र कर रही है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन आर्थिक और सामाजिक स्थिति का विवरण केवल जाति आधारित जनगणना के माध्यम से एकत्र किया जा सकता है।’
डीएमके को वन्नियार विरोधी पार्टी दिखाने की साजिश
परिवहन मंत्री एसएस शिवशंकर ने आरोप लगाया कि पीएमके ने डीएमके को वन्नियार विरोधी पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश की, जबकि यह दिवंगत मुख्यमंत्री एम करुणानिधि थे, जिन्होंने तमिलनाडु में सबसे पिछड़े वर्गों (एमबीसी) के लिए 20 फीसदी आरक्षण लागू किया था। उन्होंने कहा, पीएमके ने एक राजनीतिक दल के साथ गठबंधन किया, जिसने आरक्षण के लिए प्रदर्शन के दौरान वनियारों को गौरैया की तरह मार डाला।

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