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‘ना संगठन ना सरकार, सबसे बड़ा होता है जन कल्याण’, अखिलेश यादव ने केशव मौर्य को ऐसे दिया जवाब


उत्तर प्रदेश में सियासत जबरदस्त तरीके से जारी है। भाजपा में उठापटक की स्थिति है और सपा भगवा पार्टी में फूट का आनंद लेने की कोशिश में है। वही, अखिलेश यादव और केशव प्रसाद मौर्य के बीच वार-पलटवार का दौर देखने को मिल रहा है। आज केशव प्रसाद ने अखिलेश के मानसून ऑफर पर जवाब दिया। इसके बाद एक बार फिर से अखिलेश ने केशव मैर्य पर पलटवार किया है। अखिलेश ने एक्स पोस्ट में कहा कि न संगठन बड़ा होता है, न सरकार। सबसे बड़ा होता है जनता का कल्याण।
सपा नेता ने आगे कहा कि दरअसल संगठन और सरकार तो बस साधन होते हैं, लोकतंत्र में साध्य तो जनसेवा ही होती है। जो साधन की श्रेष्ठता के झगड़े में उलझे हैं, वो सत्ता और पद के भोग के लालच में है, उन्हें जनता की कोई परवाह ही नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भाजपाई सत्तान्मुखी है, सेवान्मुखी नहीं! अखिलेश यादव ने मॉनसून ऑफर दिया था जिसमें कहा गया था कि 100 विधायक लाओ और सरकार बनाओ। अब इसी पर केशव मौर्य ने पलटवार किया है। मौर्य ने इसे मुंगेरीलाल के हसीन सपने बताया। केशव प्रसाद मौर्य ने एक्स पोस्ट में दावा किया कि मॉनसून ऑफर को 2027 में 47 पर जनता और कार्यकर्ता फिर समेटेंगे।बिना नाम लिए केशव मौर्य ने सपा को डूबता जहाज़ बताया। उन्होंने कहा कि एक डूबता जहाज़ और समाप्त होने वाला दल जिसका वर्तमान और भविष्य ख़तरे में है। वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख सकता है, परंतु पूर्ण नहीं हो सकता। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 2027 में 2017 दोहरायेंगे, फिर कमल की सरकार बनायेंगे। अखिलेश की ओर से यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश में भाजपा के भीतर बढ़ते तनाव के बीच आया है। यादव की टिप्पणी का उद्देश्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी मौर्य के बीच कथित दरार को भुनाना था।इससे पहले मौर्य ने भी अपने एक बयान में सरकार से ज्यादा पार्टी संगठन की प्रधानता पर जोर दिया था। भाजपा की एक दिवसीय राज्य कार्यसमिति की बैठक के दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी की संरचना और उसका कैडर हमेशा सरकार से अधिक महत्व रखेगा। मौर्य ने कहा कि सभी मंत्रियों, विधायकों और जन प्रतिनिधियों को पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी गरिमा बरकरार रहे। अपने भाषण में, मौर्य ने हालिया लोकसभा चुनाव परिणामों पर विचार किया और स्वीकार किया कि वे पार्टी की उम्मीदों से कमतर रहे। उन्होंने इन चुनावी असफलताओं के लिए विपक्ष द्वारा प्रचारित “झूठ और धोखे” को जिम्मेदार ठहराया।

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