पहलगाम आतंकी हमले के बाद कर्नाटक सरकार में मंत्री जमीर अहमद ने पीएम मोदी से मांग की है कि उन्हें फिदायीन बम दिया जाए। वह उसे लेकर पाकिस्तान जाएंगे और उस पर हमला कर देंगे। कर्नाटक के आवास और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी.जेड. जमीर अहमद खान का एक हालिया बयान चर्चा का विषय बन गया है। पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव को बीच मंत्री जमीर अहमद खान का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह उन्हें अनुमति दें तो वे पड़ोसी देश से जंग के लिए खुद ही फिदायीन हमलावर बनकर जाने के लिए तैयार हूं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया गया उनका यह नाटकीय बयान तुरंत वायरल हो गया और राजनीतिक हलकों में इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। वायरल हो रही वीडियो में कर्नाटक सरकार के मंत्री जमीर खान कह रहे है कि पाकिस्तान हमेशा से ही भारत का दुश्मन रहा है। ऐसे दुख के मौके पर अगर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मुझे मौका देते हैं तो मैं खुद सीमा पर जाकर युद्ध करने के लिए तैयार हूं। जमीर खान यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा, हम सब भारतीय हैं, हम हिन्दुस्तानी हैं। हमारा पाकिस्तान से कोई नाता नहीं है। पाकिस्तान हमेशा से हमारा दुश्मन मुल्क रहा है। मैं पाकिस्तान जाकर युद्ध करने के लिए तैयार हूं। मोदी, शाह मुझे आत्मघाती बम दें, मैं बांधकर पाकिस्तान जाऊंगा और हमला करूंगा। मंत्री ने कहा कि वह देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार हैं और उन्होंने केंद्र से निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया। खान के इस बयान के बाद आस-पास मौजूद सभी लोग हंसने लगे, लेकिन उन्होंने कहा, “मैं यह मजाक नहीं कर रहा हूं या इसे मजाकिया अंदाज में नहीं कह रहा हूं, मैं इसे लेकर बहुत गंभीर हूं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का सामना करने के लिए हर भारतीय को एकजुट होना चाहिए।
पहलगाम आतंकी हमला, एक नजर
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते मंगलवार 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी। सेना की वर्दी में आए दहशतगर्दों ने पहलगाम की बायसरन घाटी में पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा, परिचय पत्र देखे और फिर हिंदू हो कहकर गोली मार दी।
टीआरएफ ने ली हमले की जिम्मेदारी
तीन जुलाई से शुरू होने जा रही श्रीअमरनाथ यात्रा से पहले इस कायराना हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा से जुड़े गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। फरवरी, 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर में यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है। उस हमले में सीआरपीएफ के 47 जवान मारे गए थे।
