देश में डीजल की मांग में अप्रैल में करीब चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कई माह की नकारात्मक या कम वृद्धि के बाद अप्रैल में गर्मियों की शुरुआत के साथ डीजल की खपत बढ़ी है। डीजल देश में सबसे ज्यादा उपभोग किया जाने वाला ईंधन है।यह देश के परिवहन क्षेत्र और ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था की ‘जीवनरेखा’ है। 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में डीजल की मांग में सिर्फ दो प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी और इससे पिछले वित्त वर्ष में डीजल की खपत में कोई वृद्धि नहीं हुई थी।पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में डीजल की खपत बढ़कर 82.3 लाख टन हो गई, जो एक साल पहले की समान अवधि से लगभग चार प्रतिशत अधिक है।अप्रैल, 2023 की तुलना में खपत 5.3 प्रतिशत और कोविड-पूर्व की अवधि यानी 2019 की तुलना में इसमें 10.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। गर्मियों की शुरुआत से ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में एयर-कंडीशनिंग की मांग बढ़ जाती है।अप्रैल, 2025 में डीजल की मांग में चार प्रतिशत की वृद्धि इस महीने के लिए दर्ज की गई सबसे ऊंचीमात्रा और किसी भी महीने में अबतक की दूसरी सबसे अधिक मात्रा है।उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में डीजल की मांग में सुस्ती रही है, जिससे इसके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। यात्री वाहनों में अब पेट्रोल, सीएनजी और बिजली का इस्तेमाल बढ़ रहा है।इसके बावजूद देश में कुल पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में डीजल का हिस्सा करीब 38 प्रतिशत है। अधिकारियों ने कहा कि डीजल की खपत में कोविड-पूर्व की अवधि की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है और अगले कुछ साल तक डीजल की मांग बढ़ती रहेगी।अप्रैल, 2025 में पेट्रोल की खपत 4.6 प्रतिशत बढ़कर 34.35 लाख टन हो गई। पिछले साल चुनाव प्रचार के कारण पेट्रोल की खपत में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उज्ज्वला कनेक्शन के काण एलपीजी की खपत 6.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 26.21 लाख टन पर पहुंच गई।2019 से घरेलू रसोई गैस की खपत में लगभग पांच महीने के बराबर की वृद्धि हुई है। विमान ईंधन एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की खपत में वृद्धि घटकर 3.25 प्रतिशत रह गई है। अप्रैल में एटीएफ की कुल मांग 7,66,000 टन रही। पिछले साल चुनाव प्रचार के कारण जेट ईंधन की मांग में दो अंक में वृद्धि देखने को मिली थी।
