लखनऊ । उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ आंदोलन और तेज हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे विरोध प्रदर्शन के तहत 5 मई को प्रदेशभर के बिजली कर्मचारी रात 8 से 9 बजे तक अपने-अपने घरों की बिजली बंद रखेंगे, ताकि जनता को यह संदेश दिया जा सके कि निजीकरण से प्रदेश ष्लालटेन युगष् में लौट सकता है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि 42 जनपदों में बिजली वितरण के निजीकरण में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा झूठा शपथ पत्र देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। “चेयरमैन जानबूझकर फाइल दबाए बैठे हैं और ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा चुप्पी साधे हैं,” उन्होंने कहा। समिति का कहना है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में उपभोक्ताओं का लगभग 66000 करोड़ रुपये बकाया है, जिस पर निजी कंपनियों की नजर है। उन्होंने आगरा शहर का उदाहरण देते हुए कहा कि 2010 में टोरेंट पावर को बिजली वितरण सौंपा गया था, लेकिन 2200 करोड़ की बकाया राशि का अब तक एक भी पैसा वापस नहीं हुआ। रविवार को लखनऊ में अनशन स्थल पर 200 से ज्यादा बिजली कर्मी और अभियंता जुटे। इनमें अभियंता संघ के अध्यक्ष संजय सिंह, प्राविधिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष चंद्र भूषण उपाध्याय, बिजली मजदूर संगठन के अध्यक्ष माया शंकर तिवारी सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।
