राजकुमार राव और वामिका गब्बी की अपकमिंग फिल्म ‘भूल चूक माफ’ 9 मई को रिलीज होने वाली थी। हालांकि, ऐन मौके पर मेकर्स ने इसकी रिलीज टाल दी। अब एक्सपर्ट्स के नजरिए से समझें कि बाॅक्स ऑफिस को इससे कितना नुकसान हुआ है।राजकुमार राव और वामिका गब्बी स्टारर ‘भूल चूक माफ’ इस शुक्रवार यानि बीते 9 मई को थिएटर्स में रिलीज होने वाली थी पर ठीक एक दिन पहले मेकर्स ने इसे टाल दिया। अब यह फिल्म तो 16 मई को ओटीटी पर रिलीज हो जाएगी लेकिन इस थिएट्रिकल रिलीज के टलने से बॉक्स ऑफिस को कितना नुकसान हुआ?
इस मामले पर अमर उजाला ने डिस्ट्रीब्यूटर और एग्जिबिटर अक्षय राठी से बात की। अक्षय ने कहा, ‘इस फिल्म की रिलीज अचानक टली है, वो भी रिलीज से सिर्फ एक दिन पहले। इस मामले में सबसे ज्यादा नुकसान थिएटर ओनर्स को होगा। थिएटर मालिक पहले से फिल्म के हिसाब से शेड्यूल बनाते हैं और रिलीज से एक दिन पहले फिल्म हटाना उनके लिए बहुत बड़ा नुकसान होता है।’
मुख्य नुकसान सिनेमा हॉल मालिकों का
अक्षय ने बताया, ‘थिएटर ओनर्स फिल्म के हिसाब से पूरे हफ्ते का शेड्यूल बनाते हैं। कब कौन सी फिल्म कितने शो में चलेगी? क्या स्टाफिंग होगी? किस शो में कितने स्क्रीन होंगे? ये सब तय होता है। अचानक से फिल्म हटा ली जाए तो सारा शेड्यूल बिगड़ जाता है।’
बॉक्स ऑफिस को 50–55 करोड़ का नुकसान
अक्षय ने यह भी कहा कि अगर फिल्म थिएटर्स में रिलीज होती तो आराम से 50-55 करोड़ रुपये का नेट कलेक्शन कर सकती थी। यह इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा लॉस है। खासकर ऐसे समय में जब हर फिल्म का बिजनेस काफी मायने रखता है।’
क्या सिनेमाघर मालिकों को मिलता है मुआवजा ?
फिल्म अचानक से हटने पर क्या सिनेमाघर मालिकों को मुआवजा मिलता है? इस पर अक्षय ने साफ कहा, ‘नहीं, ऐसा कुछ नहीं होता। ये मामला वहीं खत्म हो जाता है। कोई किसी को नुकसान नहीं भरता। हां, अगर फिल्म रिलीज होती और 55 करोड़ ग्रॉस करती है तो सिनेमा हाॅल को (सिंगल स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स मिलाकर) तकरीबन 26 करोड़ का मुनाफा होता। बहरहाल, मुझे मैडॉक (भूल चूक माफ के मेकर्स) पर भरोसा है। वो आगे चलकर अपनी फिल्मों को थिएटर में अच्छे से रिलीज करेंगे।’
कोई सोची-समझी स्ट्रैटेजी नहीं
अक्षय ने यह भी कहा कि फिल्म मेकर्स और ओटीटी नेटवर्क ने हालात देखकर ये फैसला लिया होगा। ‘हर प्रोड्यूसर अपने हिसाब से फैसला करता है। मैडॉक और अमेजन ने भी वही किया होगा जो उन्हें सही लगा। इस वक्त जो माहौल है, खासकर सीमा पर जो घटनाएं चल रही हैं हो सकता है वो भी इस फैसले की वजह रही हों। अगर कोई फिल्म रिलीज से एक-दो दिन पहले हटती है तो साफ है कि ये कोई अचानक या मजबूरी वाला फैसला रहा होगा। इसमें कोई सोची-समझी स्ट्रैटेजी नहीं दिखती।’
डर के बजाय थिएटर चालू रखने की बात
सीमा पर हालात को देखते हुए क्या फिल्मों को टाल देना सही है? इस पर के जवाब में अक्षय ने कहा, ‘मेरे हिसाब से सबसे बड़ा जवाब यही होगा कि हम लोग डरे नहीं। अपना काम करते रहें। देश रुकना नहीं चाहिए और यही तो उन लोगों को जवाब है जो चाहते हैं कि हम डर से अपना काम बंद कर दें।’
