यूपी में बिजली खरीद में फिक्स चार्ज पर 51 फीसदी खर्च होगा। वहीं जल विद्युत खरीद प्रस्ताव को चार हजार से बढ़ाकर छह हजार मेगावाट कर दिया गया है। मामले में 22 मई को नियामक आयोग सुनवाई करेगा। पॉवर कॉर्पोरेशन की ओर से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता में बिजली खरीद में 51 फीसदी फिक्स चार्ज और 49 फीसदी फ्यूल चार्ज रखा गया है। इसी तरह जल विद्युत खरीद प्रस्ताव को चार हजार से बढ़ाकर छह हजार मेगावाट कर दिया गया है। अब इस मामले में 22 मई को नियामक आयोग सुनवाई करेगा।वर्ष 2025-26 के बिजली खरीद में फिक्स चार्ज के रूप में 45614 करोड़ और 43141 करोड़ फ्यूल चार्ज प्रस्तावित किया गया है। उपभोक्ताओं के लिए करीब 88755 करोड़ की बिजली खरीद का प्रस्ताव है। बिना टैरिफ बढ़ोतरी के राजस्व प्राप्ति का आकलन करीब 85041 करोड़ रुपये बताया गया है। वहीं, सभी बिजली कंपनियों ने निजीकरण के पहले वर्ष 2028 तक के लिए 4000 मेगावाट जल बिजली खरीदने के लिए टेंडर जारी करने का प्रस्ताव बनाकर नियामक आयोग को भेजा है। अब प्रस्ताव में बदलाव करके जल बिजली खरीद 6000 मेगावाट कर दिया गया है। खरीद वर्ष 2032 तक के लिए इसे प्रस्तावित किया गया है। अब पूरे मामले में नियामक आयोग 22 मई को सुनवाई कर कॉर्पोरेशन से इस बढ़ोतरी के बारे में पूछेगा।उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पॉवर कॉर्पोरेशन ने फिक्स चार्ज में 51 फीसदी रखा है यानी जिस उत्पादन इकाई से समझौता किया गया है, उससे बिजली खरीद की जरूरत हो या न हो, लेकिन उसे तय फिक्स चार्ज का भुगतान करना ही होगा। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर भार बढ़ोतरी के रूप में पड़ेगा। निगमों का घाटा भी बढ़ना तय है।
