यूपी में राजीव कृष्णा नए डीजीपी बनाए गए हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नए डीजीपी की नियुक्ति पर व्यंग्यात्मक रूप से प्रहार किए। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सेवानिवृत्त हुए डीजीपी प्रशांत कुमार का नाम लिए बिना कटाक्ष करते हुए कहा कि वे जाते-जाते जरूर सोच रहे होंगे कि उन्हें क्या मिला, जो हर गलत को सही साबित करते रहे। यदि व्यक्ति की जगह संविधान और विधान के प्रति निष्ठावान रहते तो कम-से-कम अपनी निगाह में तो सम्मान पाते।अखिलेश ने एक्स के माध्यम से कहा कि अब देखना ये है कि वे जो जंजाल पूरे प्रदेश में बुनकर गए हैं, नये वाले उससे मुक्त होकर निष्पक्ष रूप से न्याय कर पाते हैं या फिर उसी जाल के मायाजाल में फंसकर ये भी सियासत का शिकार होकर रह जाते हैं। दिल्ली-लखनऊ की लड़ाई का खामियाजा उत्तर प्रदेश की जनता क्यों झेले। जब डबल इंजन (सरकार) मिलकर एक अधिकारी नहीं चुन सकते तो भला देश-प्रदेश क्या चलाएंगे। उन्होंने कार्यवाहक डीजीपी मिलने पर कटाक्ष किया। प्रदेश सरकार ने वर्ष 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्णा को डीजीपी नियुक्त किया है। उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष के साथ डायरेक्टर विजिलेंस की जिम्मेदारी संभाल रहे राजीव कृष्ण 11 वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को सुपरसीड कर डीजीपी बनाए गए हैं। बता दें कि निवर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिल सका, जिसके बाद देर शाम राजीव कृष्णा को डीजीपी बनाने की घोषणा कर दी है। उन्होंने रात करीब 9 बजे डीजीपी का कार्यभार ग्रहण कर लिया।बता दें कि मूल रूप से गौतमबुद्धनगर के निवासी राजीव कृष्णा इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग की है। उन्हें दो बार राष्ट्रपति का गैलेंट्री अवार्ड समेत कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उनकी सेवानिवृत्ति में अभी चार वर्ष और एक माह का समय बाकी है, जिसकी वजह से वह लंबे समय तक प्रदेश के डीजीपी बने रह सकते हैं। दरअसल, प्रदेश में सिपाही नागरिक पुलिस के 60,244 पदों सीधी भर्ती की लिखित परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद प्रदेश सरकार ने राजीव कृष्णा को भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने परीक्षा को सकुशल संपन्न कराई, जिसकी वजह से उनकी काबिलियत का लोहा मानते हुए राज्य सरकार ने उन्हें प्रदेश पुलिस का मुखिया बनाने का फैसला लिया है।
