लखनऊ।राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन शुरू हो चुका है। आगामी 15 फरवरी तक इस चुनाव के लिए नामांकन होगा।उत्तर प्रदेश से 10 सीटें खाली हो रही हैं।राज्य की सीटों में वर्तमान स्थिति के अनुसार बीजेपी गठबंधन के खाते में 7 और सपा गठबंधन के खाते में 3 सीट जाना तय माना जा रहा है। लेकिन जो दिख रहा है वो होते नजर नहीं आ रहा है और इसकी वजह आरएलडी है।सूत्रों की माने तो बीजेपी और आरएलडी के गठबंधन की बात लगभग फाइनल हो चुकी है।अगर ऐसा होता है तो सपा के लिए पेंच फंस जाएगा। अगर आरएलडी सपा गठबंधन से अलग होती है तो अखिलेश यादव की पार्टी से तीसरे उम्मीदवार के राज्यसभा जाने का पेंच फंस जाएगा। इसके लिए हम एक बार सीटों की संख्या और आंकड़ों पर ध्यान देते हैं। आरएलडी की सीटें सपा गठबंधन से हटा दी जाए तो कांग्रेस और सपा की सीटें मिलकर 110 होती है। एक राज्यसभा उम्मीदवार को जीत के लिए 39 विधायकों का वोट चाहिए। आरएलडी के गठबंधन से बाहर होते ही सपा के तीसरे उम्मीदवार के लिए सात विधायक कम हो जाएंगे।दूसरी ओर अगर बीजेपी के साथ गठबंधन के तहत आरएलडी को एक राज्यसभा सीट दी और वो आठवीं सीट हुई तो वोटिंग होना तय है।आंकड़ों के लिहाज से आरएलडी एनडीए का हिस्सा बन गई तो एनडीए के 288 विधायक हो जाएंगे। इस वजह से सात उम्मीदवारों का रास्ता तो बिल्कुल साफ नजर आता है लेकिन आठवें के लिए पेंच एनडीए में भी फंस जाएगा क्योंकि एनडीए के पास केवल 15 विधायक बचेंगे। एनडीए को आठवीं सीट जीतने के लिए 24 विधायकों की जरूरत होगी। जयंत चैधरी अगर एनडीए के साथ जाते हैं तो सपा की राह मुश्किल जरूरी होगी लेकिन बीजेपी गठबंधन का रास्त भी साफ होना तय नहीं है।
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