उद्योगों के लिए आसानी से जमीन जुटाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। अब लैंड पूलिंग नीति के तहत औद्योगिक विकास प्राधिकरण जमीन जुटा सकेंगे। पॉलिसी के तहत भू-स्वामी औद्योगिक विकास में स्वेच्छा से भागीदार बन सकेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नीति को और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए कुछ संशोधन का सुझाव देते हुए उसे अगली कैबिनेट की बैठक में रखने को कहा।
मुख्यमंत्री ने लैंड पूलिंग नीति को और व्यावहारिक बनाने के दिए निर्देश
भू-स्वामी से ली गई जमीन का एक हिस्सा उन्हें ‘विकसित भूमि’ के रूप में किया जाएगा वापस राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हुए निवेश करारों को जमीन पर उतारने और उद्योगों के लिए आसानी से भूमि उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार ने भू-स्वामियों को भागीदार बनाने का निर्णय लिया है। लैंड पूलिंग नीति-2024 के तहत औद्योगिक विकास प्राधिकरण, उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन जुटा सकेंगे।वहीं, भू-स्वामी से ली गई जमीन का एक हिस्सा उन्हें ‘विकसित भूमि’ के रूप में वापस किया जाएगा, जिसे वह किसी दूसरे के नाम पर हस्तांतरित कर सकेंगे। कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को लैंड पूलिंग नीति से जुड़े प्रस्ताव को चर्चा के बाद स्थगित कर दिया गया।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नीति को और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए कुछ संशोधन का सुझाव देते हुए उसे अगली कैबिनेट की बैठक में रखने को कहा।बता दें कि लैंड पूलिंग नीति-2024 के तहत औद्योगिक विकास प्राधिकरण, उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन जुटा सकेंगे और भू-स्वामी भी औद्योगिक विकास में स्वेच्छा से भागीदार बन पाएंगे। यह नीति ग्रेटर नोएडा, नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र को छोड़कर सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में प्रभावी होनी है।पूलिंग नीति के तहत औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा वह भूमि ली जानी है जो उसके मास्टर या जोनल प्लान के आसपास होगी और जिसकी 80 प्रतिशत भूमि भू-स्वामी स्वेच्छा से देने को तैयार होंगे। शेष 20 प्रतिशत भूमि भू-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर एवं पारदर्शिता के अधिनियम 2013 के तहत अधिग्रहीत की जाएगी।
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