सावन के महीने में नाग पंचमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर पड़ता है। इस दिन नाग देवता की पूजा-अर्चना और व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि नाग देवता की उपासना करने से साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन पूजा के दौरान कई बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा नियम का पालन न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। चलिए इस लेख में जानते हैं नाग पंचमी की पूजा के नियम के बारे में।
इन बातों का रखें ध्यान
नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद पूजा करें। इस दिन मंदिर में चांदी के नाग और नागिन का दूध से अभिषेक करें और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को राहु और केतु से संबंधित दोषों से छुटकारा मिलता है। नाग पंचमी पर चांदी के नाग और नागिन का दान करने से कार्यों में आ रही बाधा दूर होती है और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा साधक नाग पंचमी के अवसर पर पूजा के दौरान नाग देवता को दूध अर्पित करें। इससे भय दूर होता है और परिवार के सदस्यों को सुख-शांति की प्राप्ति होती है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता और शिवलिंग पर दूध अर्पित करने के लिए तांबे के धातु से बने पात्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दूध चढ़ाने के लिए पीतल से बने पात्र को अच्छा माना जाता है। इसके अलावा नुकीली चीजों के इस्तेमाल से दूर रहें। ऐसा करना हानिकारक हो सकता है और इससे नाग देवता क्रोधित हो सकते हैं। पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 09 अगस्त को मध्य रात्रि 12 बजकर 36 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 10 अगस्त को देर रात्रि 03 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर नाग पंचमी का पर्व 09 अगस्त को मनाया जाएगा।
