औरंगाबाद महाराष्ट्र राज्य का एक महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। वर्तमान में यहां से एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना के संदीपनराव भुमरे सांसद हैं। तो वहीं, पिछली बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम यहां से चुनाव जीतने में सफल रही थी। 1999 से 2019 तक शिवसेना के चंद्रकांत खैरे ने इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है। यहीं पर दुनिया में अपनी अनोखी कला के लिए जानी जाने वाली अजंता और एलोरा की गुफाएं भी हैं। विश्व प्रसिद्ध इन गुफाओं का निर्माण लगभग 200 ईसा पूर्व में हुआ था। मुगल शासक औरंगज़ेब ने अपने जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र में बिताया था और औरंगाबाद की धरती पर ही उसकी मृत्यु भी हुई थी। औरंगजेब की पत्नी रबिया दुरानी का मकबरा भी इसी क्षेत्र में है। जिसका निर्माण ताजमहल की प्रेरणा से किया गया था, जिसके चलते इस मकबरे को पश्चिम का ताजमहल भी कहा जाता है। औरंगाबाद महाराष्ट्र का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र और औद्योगिक नगर भी है। हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर संभाजी नगर कर दिया था।औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र कन्नड़, औरंगाबाद सेंट्रल, औरंगाबाद पश्चिम, गंगापुर और वैजापुर विधानसभाओं से मिलकर बना है। कन्नड़ विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के अलावा सभी दलों को जीतने का मौका दिया है। वर्तमान में यहां से उदय सिंह राजपूत विधायक हैं, जो उद्धव ठाकरे के गुट वाली शिवसेना से विधायक हैं। उनसे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के हर्षवर्धन जाधव विधायक चुने गए थे। कांग्रेस ने भी इस सीट का लंबे समय तक प्रतिनिधित्व किया है। वर्तमान विधायक उदय सिंह राजपूत राजनीति में आने से पहले लंबे समय तक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी काम कर चुके हैं। 2009 से अस्तित्व में आयी औरंगाबाद सेंट्रल सीट औरंगाबाद जिले में ही स्थित है। इस विधान सभा क्षेत्र में अब तक तीन बार ही चुनाव हुए हैं, जिसमें सबसे पहले प्रदीप जायसवाल उसके बाद एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील सैयद और अंतिम बार फिर से शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के प्रदीप जायसवाल फिर से चुनाव जीतने में सफल रहे थे। 2009 में निर्दलीय विधानसभा पहुंच चुके विधायक प्रदीप जायसवाल औरंगाबाद म्युनिसिपालिटी के मेयर भी रह चुके हैं। इस लोकसभा क्षेत्र की एकमात्र आरक्षित सीट औरंगाबाद पश्चिम है, जो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। 1962 से अस्तित्व में आयी इस सीट पर मतदाताओं ने सिर्फ कांग्रेस और शिवसेना पर ही भरोसा जताया है। फिलहाल शिवसेना के संजय शिरसाट यहां से लगातार तीन बार के विधायक हैं। उनसे पहले कांग्रेस के राजेंद्र दर्दा औरंगाबाद पश्चिम से विधायक रह चुके हैं। तो वहीं औरंगाबाद पूर्व विधानसभा क्षेत्र भी औरंगाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है। यहां से भारतीय जनता पार्टी के हरिभाऊ बागडे लगभग 20 साल तक विधायक रहे हैं। उन पर क्षेत्र के मतदाताओं ने 1985 से लेकर 1999 तक लगातार भरोसा जताया था। उनके बाद कांग्रेस के कल्याण काले और राजेंद्र दर्दा भी विधायक चुने जा चुके हैं। वर्तमान में बीजेपी के अतुल सेव इस क्षेत्र का विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सेव 2019 से लेकर 2022 तक अलग-अलग मंत्रालयों में अपनी अहम भूमिका भी निभा चुके हैं। गंगापुर विधानसभा सीट इस क्षेत्र की एक अहम सीट है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के प्रशांत बंसीलाल बंब यहां से विधायक हैं। बंब 2009 से बतौर विधायक इस क्षेत्र की जनता का महाराष्ट्र विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2009 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, उसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था। इस सीट पर कांग्रेस अंतिम बार 1885 में जीत सकी थी। तो वहीं, बंब से पहले शिवसेना अन्नासाहेब पाटिल यहां से विधायक थे। इस लोक सभा क्षेत्र की एक अन्य सीट वैजापुर भी है, जो शिवसेना का गढ़ मानी जाती है। पार्टी ने यहां 1999 से लेकर 2009 और पिछली विधानसभा के दौरान भी जीत दर्ज की है। रमेश बोरनारे यहां से वर्तमान विधायक हैं। 2014 के चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के भाऊ साहेब पाटिल ने शिवसेना के कब्जे से यह सीट छीन ली थी। यहां शिवसेना को अपना घर बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।महाविकास आघाड़ी और महायुति में यह सीट शिवसेना के दोनों गुटों को मिली थी। ऐसे में यहां पर जहां भूमरे बनाम खैरे की लड़ाई थी। तो वहीं, दूसरी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। इस सीट यह भी सवाल था कि क्या शिवसेना के दोनों खेमों की लड़ाई का फायदा AIMIM को नहीं उठा ले जाएगी। ऐसे में इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष की उम्मीद की जा रही थी। इस सीट के राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो शुरू में यह कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन 1999 आते-आते शिवसेना ने यहां अपना पैर जमा लिया था। कांग्रेस ने इस सीट आखिरी बार 1998 में जीत हासिल की थी। बीजेपी कभी यहां पर नहीं जीती है। लोकसभा के तौर पर भी अभी सीट का नाम औरंगाबाद है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस जिले का नाम बदल कर छत्रपति संभाजी नगर कर दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में लोकसभा सीट का नाम भी बदल सकता है।
औरंगाबाद महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर भी है। लोकसभा क्षेत्र में 30,52,724 मतदाता हैं, जिनमें 16,00,169 पुरुष, 14,52,415 महिलाएं हैं। जबकि थर्ड जेंडर के 140 मतदाता शामिल हैं। औरंगाबाद शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ था और इसने यहां आजादी के बाद के कई चुनाव जीते। हालांकि 1980 के दशक के अंत में और 90 के दशक में शिवसेना ने यहां एंट्री की और फिर यहां की बड़ी पार्टी बन गई।
