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Amit Shah के सवाल पर कांग्रेस का जवाब


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और नेकां के चुनाव घोषणापत्र में उल्लिखित प्रमुख मुद्दों पर उसके रुख पर सवाल उठाया। शाह की प्राथमिक चिंताओं में से एक अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने की नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिज्ञा थी, जो प्रावधान जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करते थे। शाह ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी इस कदम का समर्थन करती है? अब कांग्रेस की ओर से पलटवार किया गया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि मैं अमित शाह से जानना चाहता हूं कि जब उन्होंने पीडीपी के साथ गठबंधन किया था तो क्या उन्होंने पीडीपी का घोषणापत्र पढ़ा था? उस घोषणापत्र में भारत और पाकिस्तान दोनों की मुद्राओं का इस्तेमाल करने की बात कही गई थी। उन्होंने दावा किया कि इसके पास स्वराज्य का एक लम्बा दस्तावेज़ था। इन सबके बावजूद आप उनके साथ मिलकर सरकार बनाते हैं और एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तक पहुंचते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उसमें आपने लिखा है कि हम अटल जी के रास्ते पर चलते हुए हुर्रियत से बातचीत स्थापित करेंगे। आपने ऐसा क्यों किया? शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस और राहुल गांधी से 10 प्रश्न पूछे। उन्होंने पूछा, ‘‘क्या कांग्रेस ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस’ के जम्मू-कश्मीर में फिर से ‘अलग झंडे’ के वादे का समर्थन करती है? क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को वापस लाकर जम्मू-कश्मीर को फिर से अशांति और आतंकवाद के युग में धकेलने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के निर्णय का समर्थन करती है?’’ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष ने यह सवाल भी किया कि क्या कांग्रेस, कश्मीर के युवाओं के बदले पाकिस्तान के साथ वार्ता करके फिर से अलगाववाद को बढ़ावा देने का समर्थन करती है? नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को ऐलान किया कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सभी 90 सीट पर कांग्रेस के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया गया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा अब्दुल्ला के आवास पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व के साथ बैठक किए जाने के बाद यह घोषणा की गई है। शाह ने पाकिस्तान के साथ व्यापार शुरू करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के निर्णय पर भी कांग्रेस से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस आतंकवाद और पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल लोगों के परिजनों को फिर से सरकारी नौकरी में बहाल करके आतंकवाद, दहशतगर्दी और बंद के दौर को लाने का समर्थन करती है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस गठबंधन से कांग्रेस का आरक्षण विरोधी चेहरा भी सामने आया है, क्योंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दलितों, गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ियों के आरक्षण को समाप्त करने का वादा किया है। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस चाहती है कि ‘शंकराचार्य पर्वत’ ‘तख़्त-ए-सुलिमान’ और ‘हरि पर्वत’ ‘कोह-ए-मारन’ के नाम से जाने जाएं?

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