अलीगढ़, । अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा प्रतिष्ठित सर सैयद व्याख्यान श्रृंखला के तहत दो प्रमुख शिक्षाविदों मलेशिया के अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अरशद इस्लाम और ब्रिटेन के सेंट एंड्रयूज के स्कूल ऑफ हिस्ट्री के डॉ. अब्बास पनक्कल और इंटरनेशनल इंटरफेथ हार्मनी इनिशिएटिव के निदेशक ने व्याख्यान दिये। इतिहास विभाग के अध्यक्ष और समन्वयक प्रो. हसन इमाम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और व्याख्यान श्रंखला का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. इमाम ने विभाग की उपलब्धियों और इतिहास के क्षेत्र में वस्तुनिष्ठ और वैज्ञानिक अनुसंधान के महत्व पर प्रकाश डाला। पहले दिन प्रो. अरशद इस्लाम ने “भारत के मुस्लिम राज्यों और समाजों में बहु-धार्मिक संबंध और सभ्यता-निर्माण” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने मध्यकाल के दौरान विभिन्न समुदायों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व पर अपने विचार रखे और सामाजिक समानता और निष्पक्षता के लिए आधारशिला के रूप में अदल (न्याय) के इस्लामी सिद्धांत पर जोर दिया। डॉ. अब्बास पनक्कल ने ‘मुसलियार राजाः मालाबार प्रतिरोध का उपनिवेशवाद-विरोधी इतिहासलेखन’ पर बात की, जिसमें 1921 के मालाबार प्रतिरोध के इर्द-गिर्द औपनिवेशिक आख्यानों पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि कैसे उनका शोध औपनिवेशिक दृष्टिकोणों का खंडन करता है और उस अवधि के दौरान ब्रिटिश शासन का विरोध करने में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एकता पर प्रकाश डाला। श्रृंखला के दूसरे दिन प्रो. अरशद का व्याख्यान ‘डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री के लिए शोध प्रस्ताव लिखना’ पर आधारित था। उन्होंने इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी, मलेशिया में अपनाई गई शोध नैतिकता के बारे में जानकारी साझा की और बताया कि कैसे एएमयू के छात्र समान मानकों को अपना सकते हैं। डॉ. अब्बास का दूसरा व्याख्यान, ‘दक्षिण एशिया और दक्षिण एशियाई सांस्कृतिक परंपराओं का एकीकरण’, दोनों क्षेत्रों में इस्लाम के आगमन से आकार लेने वाली समन्वयकारी सांस्कृतिक परंपराओं पर केंद्रित था। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. परवेज नजीर ने वक्ता का स्वागत किया और उनका परिचय कराया। व्याख्यानों में संकाय, शोध विद्वानों और छात्रों ने भाग लिया, जिससे बौद्धिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला। डॉ. सना अजीज ने कार्यक्रम का संचालन किया और डॉ. अनीसा इकबाल साबिर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
