जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद सूबे में पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में इस अहम राजनीतिक घटनाक्रम पर पूरे देश की नजर है। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस और बीजेपी मुख्य राजनीतिक पार्टियों की श्रेणी में आती हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल जीत हासिल करने के लिए कमर कस रही हैं। वहीं सूबे में कांग्रेस कई रणनीतियों की तरह आगे बढ़ रही हैं। एक ओर जहां कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी अन्य क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर चलना चाहती हैं। जिसमें मुख्य रूप से पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल हैं। पार्टी इन दोनों पार्टियों के साथ मिलकर बड़ा गठबंधन तैयार करने की तैयारी में है। इस चुनाव में कांग्रेस अपने साथ पीडीपी और एनसीपी को लाना चाहती है। हालांकि जनता किस ओर अपना मत देती है, यह तो समय आने पर ही पता चलेगा।
कांग्रेस की रणनीति नंबर 1
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस एनसीपी के साथ गठबंधन कर सकती है। बताया जा रहा है कि दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे की बातचीत का दौर चल रहा है। कांग्रेस इस चुनाव में 90 में से 40 सीटों की मांग कर रही है, लेकिन उमर अब्दुल्ला पार्टी को सिर्फ 25 सीटें देने को तैयार है। ऐसे में कांग्रेस इस बातचीत के दौर से खुश नहीं है।
कांग्रेस की रणनीति नंबर 2
बता दें कि कांग्रेस सिर्फ एनसीपी को ही नहीं बल्कि पीडीपी को भी साथ में लाना चाहती है। कांग्रेस दोनों पार्टियों को साथ में लाकर बड़ा गठबंधन तैयार करना चाहती है। इसके अलावा पार्टी अन्य क्षेत्रीय दलों के भी संपर्क में है। लेकिन फिलहाल कांग्रेस की इस ठगर में सबसे बड़ी चुनौती नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी है।
तीन चरणों में होगा चुनाव
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव तारीखों का ऐलान करते हुए कहा है कि सूबे में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे। जिनमें पहला चरण 18 सितंबर, दूसरा चरण 25 सितंबर और तीसरा चरण 1 अक्तूबर को संपन्न होगा। वहीं वोटों की गिनती 04 अक्तूबर को होगी। जम्मू-कश्मीर में 90 निर्वाचन क्षेत्रों में करीब 87.09 लाख वोटर हैं। जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 42.6 हैं। वहीं 20.7 लाख युवा मतदाताओं में से पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 3.71 लाख के आसपास है।
