पिछले हफ्ते बंगलूरू की एक विशेष अदालत ने इस मामले में सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस को जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद 27 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज की गई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। बंगलूरू के स्पेशल कोर्ट के आदेश के बाद मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में लोकायुक्त ने मंगलवार को जांच शुरू कर दी।
तीन महीने में सौंपनी है रिपोर्ट
गौरतलब है, पिछले हफ्ते बंगलूरू की एक विशेष अदालत ने इस मामले में सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस को जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद 27 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। साथ ही अदालत ने लोकायुक्त की मैसूर जिला पुलिस को आदेश दिया था कि जांच की रिपोर्ट तीन महीने में सौंपी जाए। मैसूर लोकायुक्त द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें 351, 420, 340, 09 और 120 बी शामिल हैं।
इन लोगों के खिलाफ शिकायत
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई है। एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा का आरोप है कि मुख्यमंत्रा ने मुडा अधिकारियों के साथ मिलकर महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल किया। साथ ही हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर कर मामले की जांच लोकायुक्त की बजाय केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है।
क्या बोलीं सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा?
बताया जा रहा कि लोकायुक्त ने पहला नोटिस सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा को भेजा था। हालांकि, कृष्णा ने किसी भी नोटिस के मिलने की खबर से साफ इनकार किया है। उन्होंने कहा, ‘किसी भी दस्तावेज के बारे में कोई नोटिस नहीं मिला है। अगर जांच में किसी दस्तावेज की जरूरत होगी तो मैं अपने पास मौजूद दस्तावेज देने के लिए तैयार हूं। तकनीकी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, सिर्फ दस्तावेजी साक्ष्य मांगे जा सकते हैं। मैंने पहले भी शिकायत करते समय सभी दस्तावेज दिए हैं, जांच के दौरान जो मांगा जाएगा, वह भी दूंगा। मैं निजी और लोकायुक्त शिकायतों में दिए गए और प्राप्त अवैध भूखंडों के 50:50 अनुपात के घोटाले की व्यापक जांच की मांग कर रहा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इन मामलों में भी जीतूंगा।’
सीएम के इस्तीफे की मांग
आरोपों के सामने आने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए उस पर भ्रष्ट नेताओं का समर्थन करने का आरोप लगाया। साथ ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग की। हालांकि, सीएम सिद्धारमैया ने उनके इस्तीफे की सभी मांगों को खारिज कर दिया।
कथित मुडा भूमि घोटाला क्या है?
मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया।
सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया।
मुख्यमंत्री की पत्नी का 50:50 योजना से क्या संबंध?
आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी। मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।
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