हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी को हैरान करते हुए जबरदस्त तरीके से जीत हासिल की है। यह ऐसा पहला मौका है जब हरियाणा में किसी पार्टी की लगातार तीसरी बार सरकार बन रही है। इसे ऐतिहासिक बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद जब एक तरीके की चर्चा शुरू हो गई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर समाप्त हो रही है और भाजपा के बुरे दिन की शुरुआत हो गई है। ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी को एक नई संजीवनी दी है और कार्यकर्ताओं में जबरदस्त आत्मविश्वास लौटा है। हालांकि, हरियाणा चुनाव नतीजों ने कई बड़े संदेश दिए हैं। लोकसभा चुनाव में जब विपक्ष का प्रदर्शन ठीक हुआ तो ऐसा माना गया कि उसका जातिगत जनगणना वाला कार्ड चल गया है। हालांकि हरियाणा में यह ठीक विपक्ष को उल्टा पड़ा है। हरियाणा में भी कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल जातिगत जनगणना को बड़ा मुद्दा बना रहे थे। लेकिन यह दांव उनका उल्टा हो गया। भाजपा ने यहां कहीं ना कहीं हिंदू वोटो को लामबंद करने की कोशिश की और यह कार्ड उसका चल भी गया। हरियाणा की अगर हम बात करें तो यहां 25 फ़ीसदी जाट मतदाता है। इसके अलावा सात फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता है।भाजपा ने इन दोनों वर्गों को साधने की बजाय 39% ओबीसी मतदाता, 21% दलित मतदाता और 8% पंजाबी मतदाताओं को साधने की कोशिश की। इसके अलावा भाजपा के पक्ष में ब्राह्मण मतदाता भी खड़े हुए। ऐसे में भाजपा ने हरियाणा में गैर जाट और मुस्लिम मतदाताओं को लामबंद किया और जबरदस्त जीत हासिल की। बांग्लादेश में जब हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे थे, तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदुओं से अपील करते हुए यह कहा था कि यदि बंटोगे तो कटोगे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे महाराष्ट्र में दोहराया। भाजपा मतदाताओं को यह समझने में कामयाब रही कि कांग्रेस जाति के आधार पर हिंदुओं में बंटवारा करना चाहती है। हिंदुओं में भेदभाव फैलाना चाहती है। ऐसे में भाजपा को हिंदू वोटो को एकजुट करने में मदद मिल गई। हरियाणा में जाट बहुल क्षेत्र में भी भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा है। ऐसे में जाट मतदाताओं से भी भाजपा को जबरदस्त समर्थन मिला है। बंटोगे तो काटोगे के नारे से भाजपा की रणनीति यह है कि हिंदू एकजुट रहे और विपक्ष के जातिगत राजनीति को करारा जवाब मिल सके।
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