वाराणसी
व्यासजी के तहखाने में विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा और अयोध्या में श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर द्रविड़ ने पूजा-अर्चना कराई। काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को पूजा-पाठ का अधिकार सौंपा गया है। इस बीच, ज्ञानवापी परिसर में हुए सर्वे की कुछ और नई तस्वीरें सामने आई हैं। इसमें तहखाने की तस्वीरें शामिल हैं। आइए आपको उन तस्वीरों को दिखाते हैं।
इससे पहले, बुधवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने अपने आदेश में कहा कि व्यासजी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा राग-भोग व्यास परिवार और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के पुजारी से कराएं। जिला जज ने अपने ऑर्डर में लिखा है कि रिसीवर जिला मजिस्ट्रेट को यह निर्देश दिया जाता है कि वह चौक थाना क्षेत्र के सेटलमेंट प्लाट नंबर-9130 में स्थित भवन के दक्षिण के तरफ स्थित तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा राग-भोग पुजारी से कराएं।
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि इस संबंध में रिसीवर सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ का उचित प्रबंध कराएं। अदालत ने मुकदमे की सुनवाई की अगली तिथि 8 फरवरी दी है। इस बीच वादी और प्रतिवादी पक्ष अपनी आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं।
आपको बता दें कि ज्ञानवापी परिसर व्यास परिवार का हुआ करता था, ऐसा काशी में कहा जाता है। शहर के पुरनियों के अनुसार पं. बैजनाथ व्यास एक तहखाने के साथ ही ज्ञानवापी हाता और आवास पर काबिज हुआ करते थे। श्री काशी विश्वनाथ धाम के सुंदरीकरण की परियोजना शुरू हुई तो मंदिर प्रशासन को व्यास आवास खरीदने की जरूरत पड़ी।
पं. सोमनाथ व्यास और एक अन्य भाई के उत्तराधिकारी ने अपना हिस्सा बेच दिया, लेकिन आवास का अस्तित्व रहने तक पं. केदारनाथ व्यास वहीं रहे। भवन का कुछ हिस्सा गिरने पर प्रशासन ने नगर निगम, वीडीए और लोक निर्माण विभाग से सत्यापन कराया।
जर्जर पाए जाने पर भवन वर्ष 2017 में ढहा दिया गया। इसके बाद पं. केदारनाथ व्यास मंदिर के समीप स्थित एक किराये के भवन में रहे, जहां साल भर के भीतर उनकी मौत हो गई। भवन को लेकर मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट तक भी गया था।
ज्ञानवापी की व्यास पीठ की महत्ता का उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। यहां पंचक्रोशी समेत काशी की परंपरा से जुड़ी अन्य परिक्रमाओं के लिए संकल्प लिए जाते थे।
ज्ञानवापी हाता स्थित व्यास परिवार का आवास भी कोई सामान्य भवन नहीं था। वहां से आदि शंकराचार्य से शास्त्रार्थ करने वाले मंडन मिश्र की यादें जुड़ी है। इसमें उनकी मूर्ति स्थापित थी और राधाकृष्ण का मंदिर भी था।
ज्ञानवापी स्थित व्यास परिवार के आवास में महात्मा गांधी के अलावा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित मोतीलाल नेहरू, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी समेत देश की कई अन्य विशिष्ट शख्सियतें आई हुईं थीं।
काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी व्यास पीठ, ज्ञानकूप और ज्ञानवापी हाता के प्रबंधक रहे पं. केदारनाथ व्यास ने पंचकोशात्मक ज्योतिर्लिंग, काशी महात्म्य और अन्नपूर्णा कथा जैसी पुस्तकें लिखीं। उनकी पुस्तक काशी खंडोक्त पंचकोशात्मक यात्रा का 16 भाषाओं में अनुवाद हुआ है। स्थानीय लोग बताते हैं कि उनकी कई पांडुलिपियां और ग्रंथ उनका भवन ध्वस्त होने के साथ ही उसमें समा गए।
