हेमा समिति की रिपोर्ट को विपक्षी दल यूडीएफ ने केरल सरकार का घेराव करते हुए दावा किया है कि केरल में वामपंथी सरकार न्यायमूर्ति के हेमा समिति की रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की घटनाओं के बारे में बचावपूर्ण थी और इसीलिए राज्य विधानसभा में इस पर चर्चा नहीं की जा रही थी।हेमा समिति की रिपोर्ट को लेकर केरल की राजनीति में गर्माहट है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष में बैठी यूडीएफ ने शुक्रवार को केरल सरकार को लेकर कई सारे दावे किए हैं। यूडीएफका कहना है कि केरल में वामपंथी सरकार न्यायमूर्ति के हेमा समिति की रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की घटनाओं के बारे में बचावपूर्ण थी और इसीलिए राज्य विधानसभा में इस पर चर्चा नहीं की जा रही थी। अगर यूडीएफ के इस दावे को विस्तार से समझें तो विपक्ष के ये आरोप ऐसे समय में आए हैं जब स्पीकर ए एन शमसीर ने यूडीएफ विधायकों द्वारा सदन को स्थगित करने और रिपोर्ट में निष्कर्षों के संबंध में आगे की जांच की कथित कमी के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पेश किए गए नोटिस को अनुमति देने से इनकार कर दिया। स्पीकर शमसीर ने कहा कि अनुमति इसलिए नहीं दी जा रही है क्योंकि यह मुद्दा केरल उच्च न्यायालय के विचाराधीन हैं।
स्पीकर के फैसले से यूडीएफ नाराज
केरल विधानसभा के स्पीकर ए एन शमसीर के फैसले से विधानसभा में अच्छा खासा विरोध देखने को मिला। यूडीएफ नेता वी डी सतीशन ने शमसीर के फैसले का जोरदार विरोध दिखाते हुए दावा किया कि नोटिस इसलिए पेश किया गया क्योंकि शमसीर ने खुद कहा था कि इस मुद्दे को सदन में एक प्रश्न के रूप में नहीं उठाया जाना चाहिए और एक प्रस्तुतिकरण या कुछ और पेश किया जाना चाहिए।इसके साथ ही विपक्षी नेता ने आरोप लगाया कि अगर हम महिलाओं से जुड़े इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करते हैं तो यह सदन का अपमान है। हम इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं और सदन से बाहर निकल रहे हैं। सरकार इस मुद्दे पर रक्षात्मक है और इसीलिए सदन में इस पर चर्चा नहीं हो रही है।
सदन से बाहर यूडीएफ का हंगामा
स्पीकर शमसीर के फैसले के बाद केरल विधानसभा के बाहर यूडीएफ का जोरदार हंगामा देखने को मिला। जानकारी के लिए बता दें कि 2017 में अभिनेत्री पर हमला मामले और मलयालम सिनेमा उद्योग में महिलाओं के उत्पीड़न और शोषण के मामलों का खुलासा करने वाली इसकी रिपोर्ट के बाद केरल सरकार ने न्यायमूर्ति के हेमा समिति का गठन किया था।
