शुक्रवार की भोर में काशी के घाट, कुंड और सरोवरों का नजारा पूरी तरह से बदल चुका था। हर तरफ छठी मईया की गीत की गूंज सुनाई दे रही थी। वहीं भगवान सूर्य की प्रतीक्षा में कातर नजरें पूरब की ओर निहार रही थीं।उपासना का पर्व डाला छठ के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए शुक्रवार की भोर में शहर के 84 गंगा घाटों के साथ कुंड और सरोवरों पर आस्थावान उमड़े। संतान की प्राप्ति और उनकी सुख-समृद्धि की कामना के साथ व्रती महिलाओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही महापर्व डाला छठ का अनुष्ठान पूरा हुआ। शुक्रवार की भोर में काशी के घाट, कुंड और सरोवरों का नजारा पूरी तरह से बदल चुका था। कहीं छठी मइया का विदाई गीत हमनी के छोड़ के नगरिया नू हो, कहवां जइबू ए माई, कईसे करी हम विदाई…विछोह का भाव जगा रही थी तो वहीं भगवान सूर्य की प्रतीक्षा में कातर नजरें पूरब की ओर निहार रही थीं। चार बजने के बाद तो घाट की ओर जाने वाली गलियों में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। ढोल नगाड़े, बैंड बाजे के साथ नाचते गाते हुए भक्त गंगा तट पर पहुंचे। परिवार के पुरुष सदस्य प्रसाद की टोकरी सिर पर रखकर तो महिलाएं दंडवत करते हुए पहुंच रही थीं। गन्ने का मंडप बनाकर और अखंड दीप के साथ पूजन आरंभ हो गया।पांच बजने के बाद भी घाटों पर हल्का कोहरा और अंधेरे की चादर तनी हुई थी। श्रद्धालुओं की नजरें भगवान भास्कर के आगमन की प्रतीक्षा में बार-बार पूरब की तरफ ही उठ रही थीं। महिलाएं पूजा करने के बाद अपने-अपने सूप लेकर पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य का इंतजार करने लगीं।श्रद्धालुओं को काफी देर तक इंतजार करना पड़ा और जैसे ही भगवान भास्कर लालिमा के साथ पूरब में नजर आए तो अस्सी से राजघाट तक हर-हर महादेव का जयघोष गुंजायमान हो उठा। छठ के अनुष्ठान, पूजन आरंभ हो गए। महिलाओं ने दूध से उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। गन्ने के मंडप के बीच दीपक जलाकर पूजा अर्चना करने वाली व्रती महिलाओं के परिवार वालों ने बारी-बारी अर्घ्य दिया। भगवान को फल, सब्जियों सहित विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाकर आरती उतारी। सुहागिन व्रती महिलाओं ने एक दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य होने का आशीर्वाद दिया। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद लेने की होड़ मच गई। गंगा तट से लेकर गोदौलिया चौराहे तक कई लोग छठ का प्रसाद लेने केलिए हाथ फैलाए खड़े रहे। ऐसा ही नजारा बरेका सूर्य सरोवर, शास्त्री घाट, अस्सी घाट, राजघाट समेत गोमती के किनारे भी रहा।
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