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इस समाज के वोट बिखरे तो आसान होगी भाजपा की राह


यूपी की इस सीट पर सपा-भाजपा के बीच टक्कर है। इस समाज के वोट बिखरे तो भाजपा की राह और भी आसान हो जाएगी। भाजपा दूसरे दलों के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है।चुनावी आंकड़ों में सपा का गढ़ बने कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में बदलाव और भरोसे की लड़ाई है। यहां बदलाव भाजपा के लिए इतिहास बनेगा। जबकि भरोसा सपा के मजबूती के रंग और गाढ़ा करेगा। जहां भाजपा दूसरे दलों के परंपरागत वोटबैंक में सेंध लगाने में जुटी हैं। वहीं लोकसभा चुनाव की तर्ज पर सपा मुस्लिम मतों के साथ पीडीए को सहेजने में लगी है। बदलाव और भरोसे की लड़ाई के बीच विधानसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़ों के साथ हार-जीत पर रायशुमारी चल रही है।कुंदरकी के मोहल्ला नूरुल्ला में हो रही चर्चा में डॉ. राम बिहारी दिवाकर कहते हैं कि क्षेत्र के विकास के साथ ही बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने वाला विधायक होना चाहिए। उनकी बात पूरी भी नहीं हुई कि राजीव शर्मा बोल पड़े कि कस्बे में जलनिकासी की समस्या विकराल होती जा रही है। उन्हें टोकते हुए देव सिंह सैनी कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर होनी चाहिए। इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कपिल भटनागर कहते हैं कि जब से कुंदरकी बाईपास बना है। तब से दूसरे जिलों के डिपो की रोडवेज बसें कुंदरकी बस स्टैंड पर नहीं आती है। शेखूपुर खास के ग्राम प्रधान डॉ. रामकिशोर सिंह ने बदहाल डीगरपुर-कुंदरकी मार्ग का मुद्दा उठाया। कुंदरकी कस्बे के मोहल्ला पश्चिमी सादात में चौपाल में बैठे हबीब कुरैशी, मुस्तकीम अहमद, हाफिज वहीद और मोबीन अहमद भी कहते हैं कि उपचुनाव में ऐसा विधायक चुनना चाहते हैं, जो क्षेत्र का विकास करा सके।
13 हजार वोट, 50 हजार की आबादी फिर भी गांव की उपेक्षा
रतनपुर कलां के मौज सुल्तान बताते हैं कि अब तक रतनपुर कलां गांव को नगर पंचायत का दर्जा मिल जाना चाहिए था। लेकिन जो भी विधायक बना उनके गांव का विकास नहीं कराया। गांव में 13 हजार वोटर हैं और आबादी करीब 50 हजार है। फिर भी गांव उपेक्षा का शिकार है। मालीपुर गांव निवासी दया राम सिंह और परचून दुकानदार जयप्रकाश सिंह कहते हैं कि गांव में कोई विधायक चुनाव जीतने के बाद नहीं आया।
किसका पलड़ा भारी, इस पर छिड़ी बहस
मूंढापांडे थाने के पास स्थित चाय की दुकान में बैठे सोने, राजेंद्र सिंह, नन्हे सैनी, अरविंद कुमार के बीच भाजपा प्रत्याशी का पलड़ा भारी है या सपा उम्मीदवार का, इस मुद्दे पर बहस छिड़ी थी। इस दौरान चर्चा में शामिल हुए रिटायर फौजी राजभान सिंह का कहते हैं कि वह कुशासन और विकास के लिए वोट करेंगे। तभी उनके बराबर में बैठे मिलक सैंजना के अख्तर अली बोल पड़े सत्ता पक्ष के प्रत्याशी के जीतने से क्षेत्र में विकास की उम्मीद है। खाई गांव के शमशाद का कहना है कि प्रदेश में योगी सरकार के कारण भाजपा प्रत्याशी का पलड़ा भारी है।
31 साल से जीत की तलाश में भाजपा
कुंदरकी विधानसभा सीट पर भाजपा को सिर्फ एक बार जीत मिली है। पार्टी को यहां 31 साल से जीत की तलाश है। वर्ष 1993 में भाजपा को इस सीट पर जीत मिली थी। तब भाजपा प्रत्याशी चंद्र विजय सिंह ने भगवा परचम लहराया था। इसके बाद से पाटी जीत को तरस रही है। इस सीट पर सपा का वर्चस्व है। वर्ष 2002 से 2022 तक हुए पांच चुनावों में चार बार सपा को जीत मिली है। 2007 में यहां सपा को हार का सामना करना पड़ा था। 2007 में बसपा के टिकट पर अकबर हुसैन विधायक बने थे।

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