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बसपा ने बढ़ाई BJP की टेंशन


यूपी की इस सीट पर हिंदुत्व-राष्ट्रवाद, विकास… रोजगार और जातीय गोलबंदी की धुरी पर वोट पड़ेंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की ताबड़तोड़ जनसभाएं हुईं हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, तीन सांसद और प्रदेश अध्यक्ष ने भी जोर लगाया है। आधार वोट बैंक के सहारे बसपा ब्राह्मण मतदाताओं को साध रही है।यूपी के मिर्जापुर की मझवां विधानसभा क्षेत्र के बजरंग चौराहे पर पान दुकान पर बैठे लोग चुनावी चर्चाओं में ही मशगूल दिखे। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का एक कार्यक्रम कछवा में था। राधेश्याम क्षेत्र के विकास के लिए सत्ता के साथ जाने की बात कर रहे थे तो रोहित सपा के पक्ष में बात रख रहे थे। यह भी गणित लगाया जा रहा था कि किस पार्टी ने कितनी ताकत झोंकी है। कौन बड़े नेता आए, कौन नहीं आए। बसपा से मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद के न आने पर भी बातें हो रही थीं। लोग कह रहे थे कि पहली बार उपचुनाव लड़ रही बसपा क्या गंभीर नहीं है। अगर है तो चुनाव में किसी बड़े नेता की जनसभा क्यों नहीं हुई।हालांकि, ऐसे कई सवालों पर रविवार की शाम तक विराम लग गया। राजनीतिक दलों ने बीते एक महीने में माहौल बनाने में पूरी ताकत झोंकी। अब बारी मतदाताओं की है। भाजपा चुनावी रैलियों से अपने पक्ष में माहौल बनाती दिख रही है तो सपा भी काफी हद तक जातीय गोलबंदी के इर्द-गिर्द तानाबाना बुनती दिख रही है। बसपा अगर ब्राह्मण मतदाताओं में सेंध लगाने में सफल हुई तो मुकाबला बेहद करीबी हो जाएगा। क्रिश्चियन अस्पताल के सामने चाय बना रहे शिवम मिश्रा कहते हैं, पिछले एक महीने से उनकी दुकान पर चुनाव के अतिरिक्त कोई चर्चा ही नहीं हुई। जनता तो सत्ता के साथ जाना चाहती है।
‘जनता तो सत्ता के साथ जाना चाहती है…’
बसपा अगर ब्राह्मण मतदाताओं में सेंध लगाने में सफल हुई तो मुकाबला बेहद करीबी हो जाएगा। क्रिश्चियन अस्पताल के सामने चाय बना रहे शिवम मिश्रा कहते हैं, पिछले एक महीने से उनकी दुकान पर चुनाव के अतिरिक्त कोई चर्चा ही नहीं हुई। जनता तो सत्ता के साथ जाना चाहती है। लोगों के पास कस्बे में सड़क चौड़ीकरण, फुटबॉल मैदान और क्रिकेट मैदान ठीक कराए जाने जैसे मुद्दे हैं। सभी को लगता है कि सरकार भाजपा की है तो वही विकास करा सकती है। बसपा पर कहते हैं कि हां, बसपा ने दीपक तिवारी को मैदान में उतारकर भाजपा के लिए थोड़ी चुनौती जरूर खड़ी कर दी है।
‘मायावती की एक भी जनसभा हो जाती तो…’
गांव कहुआ बेलवन के राम सराय कहते हैं, बिजली व्यवस्था में सुधार हुआ है। फसलों की सिंचाई में आसानी है, और किसान को क्या चाहिए। वह मुख्यमंत्री के बयान बंटेंगे तो कटेंगे पर भाजपा के पक्ष में माहौल बनना बताते हैं।
कछवा बाजार के सामने ही डुग्गी चाय अड़ी पर बैठे सुरेश उपाध्याय कहते हैं कि बीते एक महीने में भाजपा और सपा ने कई जनसभाएं की हैं। इससे इन दोनों पार्टियों की स्थिति मजबूत हुई है। अगर बसपा से मायावती की एक भी जनसभा हो जाती तो मुकाबला और कठिन हो जाता।
उन्हीं की बात का समर्थन करते हुए शिवसरन बिंद कहते हैं कि बसपा ने प्रत्याशी मजबूत उतारा, लेकिन चुनावी रैली में बड़ा नेता भी बुलाना चाहिए था। कछवा रोड निवासी स्नातक कर रहे आदेश हाल में प्रयागराज में छात्रों के प्रदर्शन की बात को दोहराते हैं और कहते हैं कि नौकरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाना चाहिए और परिवर्तन जरूरी है।
भाजपा के कद्दावर नेताओं ने मतदाताओं को रिझाया
भाजपा से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो जनसभाएं कीं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद ने भी मतदाताओं को रिझाया है। कई जनसभाएं की हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के साथ यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, आशीष पटेल, ओम प्रकाश राजभर ने भी जनसंपर्क अभियान चलाया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का भी एक कार्यक्रम लगा।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की एक जनसभा, तीन सांसद भी उतारे
सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक जनसभा की है। प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने दो जनसभाएं कीं। जौनपुर से सपा सांसद बाबू सिंह कुशवाहा, मछलीशहर से सपा सांसद प्रिया सरोज, चंदौली से सपा सांसद वीरेंद्र सिंह, नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय, अंबिका चौधरी, विधायक प्रभु नारायण यादव, विधायक रागिनी सोनकर समेत अन्य नेताओं को उतारा।
बसपा ने मुख्य मंडल जोन इंचार्ज लखनऊ को लगाया
बसपा की ओर से मुख्य मंडल जोन इंचार्ज लखनऊ रंगनाथ रावत की ओर से मझवां में जन संपर्क किया गया। था। प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल, पूर्व राज्यमंत्री अशोक कुमार गौतम ने जनसपंर्क अभियान चलाया।

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