जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के 25 अक्तूबर, 2023 के उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया, जिसमें अप्पावु के खिलाफ मानहानि के मामले को रद्द कर दिया गया था।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऑल इंडिया अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) वकील संगठन के संयुक्त सचिव की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा स्पीकर के खिलाफ मानहानि के मामले को खोलने की मांग रखी थी। दरअसल, इससे पहले हाईकोर्ट ने एम. बाबू मुरुगवेल की तरफ से स्पीकर एम अप्पावु के खिलाफ दायर मानहानि के मामले को खारिज कर दिया था। इसी के खिलाफ मुरुगवेल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के 25 अक्तूबर, 2023 के उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया, जिसमें अप्पावु के खिलाफ मानहानि के मामले को रद्द कर दिया गया था। बेंच ने कहा, “हमारे पास दल-बदल रोधी कानून है, जो कि दिखाता है कि लोकतंत्र और विधायिका राजनीतिक प्रणाली में ऐसी घटनाओं को मानती हैं।”मुरुगवेल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि नवंबर 2023 में एक किताब के अनावरण के दौरान अप्पावु ने एआईएडीएमके के नेताओं के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया था। अप्पावु ने कथित तौर पर दावा किया था कि एआईएडीएमके के 40 विधायक पार्टी की प्रमुख जे. जयललिता के दिसंबर 2016 में निधन के बाद द्रमुक में आने को तैयार थे। अप्पावु पर इस मामले में आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत शिकायत दी गई थी। मुरुगवेल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील एस. नागमुतु ने कहा कि कथित बयान एआईएडीएमकी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए दिया गया था। हालांकि, उनके इस तर्क से बेंच प्रभावित नहीं हुई। इसके बाद वकील ने इस मामले में अपनी याचिका वापस ले ली और मामले को खत्म कर दिया गया।
