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चंदौसी कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने दी SC के आदेश की कॉपी


संभल में शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले में बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन चंदौसी की अदालत में पहली सुनवाई हुई। जामा मस्जिद के अधिवक्ता शकील वारसी ने न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी अदालत में पेश की।संभल की जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद पर कोर्ट में सुनवाई हुई। जामा मस्जिद पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति स्थानीय कोर्ट में पेश की। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार अभी इस मामले पर कोई सुनवाई नहीं हो सकती है। जिसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई पांच मार्च को तय की। बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन चंदौसी की अदालत में जामा मस्जिद के अधिवक्ता शकील वारसी ने न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी पेश की। इसके बाद न्यायालय ने सुनवाई करते हुए अगली तारीख पांच मार्च नियत कर दी। इस दौरान जिला न्यायालय पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस और पीएसी तैनात रही। एसआईटी के अधिवक्ता विष्णु शर्मा व श्रीगोपाल शर्मा ने कहा कि न्यायालय में जो सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी दाखिल की गई है वह ना तो सर्टिफाइड है और ना ही शपथ पत्र के साथ दाखिल की गई है। राज्य सरकार और डीएम के अधिवक्ता प्रिंस शर्मा ने कहा कि इस आदेश में सर्वे करने व नए दायरे को मना किया है। इससे पहले दो जनवरी को संभल जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर ने अदालत में दाखिल की थी। इस रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में पेश किया गया था। कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि सर्वे के दौरान शाही जामा मस्जिद में पाए गए साक्ष्यों के संबंध में 43 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट पेश की है। साथ ही पाए गए तथ्यों के समर्थन में लगभग 60 फोटो भी सर्वे रिपोर्ट के साथ न्यायालय में पेश किए गए। बृहस्पतिवार को न्यायालय में बंद लिफाफे में सर्वे की रिपोर्ट के साथ एक प्रार्थनापत्र भी दिया गया। इसमें उन्होंने सर्वे की तारीखों का हवाला दिया और समय पर रिपोर्ट न दाखिल करने का कारण तबीयत खराब होना बताया। साथ ही रिपोर्ट को पत्रावली पर लिए जाने की अनुमति मांगी। 19 नवंबर को न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल स्थित चंदौसी की अदालत में जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे को लेकर कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी और हरिशंकर जैन समेत आठ वादकारियों ने वाद दायर किया था। न्यायालय ने उसी दिन अधिवक्ता रमेश सिंह राघव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था और सर्वे करने के आदेश दिए थे। कोर्ट कमिश्नर ने भी उसी दिन कड़ी सुरक्षा में सर्वे किया। 24 नवंबर को वह दोबारा सर्वे करने पहुंचे तो बवाल हो गया था, जिसमें पांच लोगों की जान चली गई। इसके बाद 29 नवंबर को कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश की जानी थी। जिसमें न्यायालय ने कोर्ट कमिश्नर को सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए दस दिन का समय दे दिया था। इसके बाद नौ दिसंबर को सील बंद लिफाफे में सर्वे रिपोर्ट दाखिल की जानी थी। कोर्ट कमिश्नर ने तबीयत खराब होने का हवाला देते हुए सर्वे रिपोर्ट तैयार न होने की बात कहते हुए समय की मांग की थी। वहीं, जामा मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता शकील अहमद वारसी ने समय मांगने को लेकर आपत्ति दाखिल की थी।

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