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मिल्कीपुर की मिल्कियत से उठेगा ईवीएम का पर्दा, सीएम योगी और अखिलेश की प्रतिष्ठा दांव पर


दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ आज अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर भी फैसला सामने आएगा। यह सीध सपा विधायक अवधेश प्रसाद के सांसद बन जाने से खाली हुई थी। मिल्कीपुर की मिल्कियत से शनिवार को ईवीएम का पर्दा उठ जाएगा। उपचुनाव के वोटों की गिनती के साथ ही इस विधानसभा क्षेत्र के नए विधायक के सिर पर ताज भी सज जाएगा। अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा व लोकप्रियता का पैमाना बन चुके इस चुनावी समर के निर्णायक मोड़ पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है।मिल्कीपुर को अपना नया विधायक चुनने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। यहां के विधायक रहे अवधेश प्रसाद के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट से सांसद चुने जाने के बाद उनके इस्तीफा देने से रिक्त हुई विधानसभा सीट पर प्रदेश की अन्य नौ सीटों के साथ उपचुनाव नहीं हो सका था। इसके पीछे निर्वाचन से जुड़े विवाद का हाईकोर्ट में विचाराधीन होना रहा। हाईकोर्ट से प्रकरण के निस्तारण के बाद निर्वाचन आयोग ने दिल्ली विधानसभा के साथ प्रदेश की इस एकमात्र सीट पर उपचुनाव की घोषणा की। यहां का उपचुनाव और इसके नतीजे कई मायनों में बेहद खास हैं। वह इसलिए कि भाजपा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेने के लिए व्याकुल है तो सपा एक बार फिर 2024 जैसा संदेश देकर देश दुनिया के राजनीतिक पंडितों को चौंकाना चाहती है। ऐसे ही परिदृश्य में पिछले दिनों नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में कटेहरी की तर्ज पर मिल्कीपुर के चुनाव अभियान की कमान खुद अपने हाथाें में लेकर सीएम योगी ने यहां की सरगर्मी को और बढ़ा दिया।अयोध्या की इस प्रतिष्ठापरक सीट के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झाेंक रखी थी। प्रदेश सरकार के सात मंत्री और 40 विधायक यहां का मोर्चा संभाले हुए थे। खुद मुख्यमंत्री चुनावी दौर में सात बार यहां का दौरा कर चुके हैं। दूसरी तरफ सपा ने भी 40 स्टार प्रचारकों की तैनाती की लेकिन जमीन पर सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, सांसद डिंपल यादव व धर्मेंद्र यादव और नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय की ही सक्रियता देखने को मिली। पूरे चुनाव प्रचार में भाजपा आक्रामक तो सपा साइलेंट मोड में दिखाई दी।इन सबके बीच अब फैसले की घड़ी आ गई है। शनिवार को सुबह मतगणना शुरू होने के साथ रूझान आने लगेंगे। फिर इसके बाद दोपहर तक पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। वैसे तो दिल्ली के भी चुनाव नतीजे आठ फरवरी को ही आएंगे लेकिन वहां से कम उत्सुकता यहां के परिणाम को जानने के लिए नहीं होगी। इसके लिए बस अब कुछ घंटों का ही इंतजार करना है। इसके बाद सब कुछ सामने होगा।

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