बीते साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे और ठाणे में निकाय चुनाव होने हैं और इन्हें छोटा विधानसभा चुनाव ही कहा जा रहा है। इन्हीं के चलते राज्य की राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है।महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों काफी कुछ घटित हो रहा है, जिससे राज्य का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। एक तरफ महा विकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा एनसीपी एसपी के प्रमुख शरद पवार पूर्व सीएम एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने के बाद से साथी पार्टी शिवसेना यूबीटी के निशाने पर हैं। वहीं दूसरी तरफ शिवसेना यूबीटी के शीर्ष नेता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर रहे हैं। राज्य के दोनों ही गठबंधन अंदरूनी तनातनी से जूझ रहे हैं। करीब तीन महीने पहले हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की प्रचंड जीत के बाद से दोनों ही गठबंधनों महायुति और महा विकास अघाड़ी में इन दिनों मतभेद दिखाई दे रहे हैं। इसकी वजह स्थानीय निकाय चुनाव माने जा रहे हैं। दरअसल बीते साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे और ठाणे में निकाय चुनाव होने हैं और इन्हें छोटा विधानसभा चुनाव ही कहा जा रहा है। गौरतलब है कि शिवसेना यूबीटी के शीर्ष नेताओं ने बीते करीब ढाई महीने में तीन बार सीएम फडणवीस से मुलाकात की है। आदित्य ठाकरे दो बार और उद्धव ठाकरे एक बार सीएम फडणवीस से मुलाकात कर चुके हैं। हालांकि पहले शिवसेना यूबीटी ने ही सीएम फडणवीस पर उनकी पार्टी तोड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। हालांकि बदले हालात में शिवसेना यूबीटी के रुख में भी बदलाव देखा जा रहा है। कुछ दिनों पहले ही सीएम फडणवीस ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे से भी मुलाकात की थी और ऐसी चर्चाएं हैं कि भाजपा और मनसे के बीच गठबंधन हो सकता है। महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार अभय देशपांडे ने दावा किया है कि दोनों ही गठबंधन फिलहाल अपने-अपने विरोधियों को दोस्त दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर आगामी निकाय चुनावों को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। दरअसल सभी पार्टियां हालात को भांपने की कोशिश कर रही हैं और अपने-अपने सहयोगियों को ये दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि उनके विकल्प खुले हैं। हालांकि अभय देशपांडे ने किसी बड़े फेरबदल की आशंका से इनकार कर दिया और दावा किया कि ये सिर्फ माहौल बनाने की कोशिश भर है।’
