जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई), राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के विशेषज्ञों ने मुद्दों पर अपने विचार दिए हैं, जिन पर उच्च न्यायालय के साथ-साथ विशेषज्ञ पैनल ने भी गौर किया है।गैस त्रासदी से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने यूनियन कार्बाइड के खतरनाक अपशिष्ट के निपटान पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पीथमपुर में खतरनाक अपशिष्ट के निपटान संबंधी आज के परीक्षण पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कचरे के निपटान का विरोध करने वाली नागरिक संस्थाओं के सदस्यों सहित पीड़ित पक्षों से इस मामले पर सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के पास जाने को कहा।जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई), राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के विशेषज्ञों ने मुद्दों पर अपने विचार दिए हैं, जिन पर उच्च न्यायालय के साथ-साथ विशेषज्ञ पैनल ने भी गौर किया है। शीर्ष अदालत ने कचरे के निपटान का विरोध करने वाली नागरिक संस्थाओं के सदस्यों सहित पीड़ित पक्षों से इस मामले पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के पास जाने को कहा।
कोर्ट ने 25 फरवरी को प्राधिकारियों से कहा था
इससे पहले शीर्ष कोर्ट ने 25 फरवरी को प्राधिकारियों से कहा था कि वे उसे मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के खतरनाक अपशिष्ट के निपटान के संबंध में बरती गई सावधानियों के बारे में अवगत कराएं।
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक संयंत्र में निपटान के लिए ले जाया गया था
अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के लगभग 377 टन खतरनाक कचरे को भोपाल से 250 किलोमीटर और इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक संयंत्र में निपटान के लिए ले जाया गया था।
5,479 लोग मारे गए थे और पांच लाख से अधिक लोग अपंग हो गए थे
यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात को अत्यधिक जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ (एमआईसी) का रिसाव हुआ था, जिसके कारण 5,479 लोग मारे गए थे और पांच लाख से अधिक लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
