संभल जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एएसआई ने जांच रिपोर्ट दाखिल की है। रिपोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा है कि मस्जिद में रंगाई-पुताई की जरूरत नहीं है। जांच के दौरान मस्जिद में गंदगी व कुछ जगहों पर झाड़ियां उगी पाई गई हैं इसके साक्ष्य भी एएसआई ने कोर्ट में दाखिल किए हैं। कोर्ट ने एएसआई को मस्जिद की सफाई वह उगी हुईं झाड़ियां को साफ करने का निर्देश दिया है। वहीं हिंदू समाज के लोगों का कहना है कि जामा मस्जिद कमेटी ने कुछ हिस्सा जानबूझ कर क्षतिग्रस्त किया है। हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी। कल यानी बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम संभल जामा मस्जिद का सर्वे किया था। इस दौरान जामा मस्जिद कमेटी के सदर (प्रमुख) जफर अली एडवोकेट व अन्य पदाधिकारी भी साथ रहे। एहतियाती तौर पर मस्जिद के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। एएसआई की टीम ने करीब सवा घंटे तक मस्जिद की स्थिति का जायजा लिया था। एएसआई की टीम में ज्वाइंट डायरेक्टर मदन सिंह चौहान, डायरेक्टर जुल्फिकार अली, मेरठ सर्किल के सुप्रीटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट विनोद सिंह रावत शामिल रहे थे। जामा मस्जिद कमेटी में जिस समय एएसआई की टीम पहुंची तो कुछ हिंदू समाज के लोगों ने कहा कि मुख्य गेट पर जामा मस्जिद कमेटी ने कुछ हिस्सा जानबूझ कर क्षतिग्रस्त किया है। यह स्वरूप बदलने का प्रयास किया जा रहा है। एहतियाती तौर पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। आरोप लगा रहे लोगों को मौके से वापस भेज दिया गया। दरअसल मस्जिद के मुख्य गेट पर जो आकृति बनी है। उसका कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। जामा मस्दिज कमेटी के सदर का कहना है कि कुछ हिस्सा खुद ही गिर गया है। इसकी मरम्मत कराई जाएगी। एएसआई की टीम ने मस्जिद के गेट पर स्थित कुएं को भी खुलवाकर देखा। टीम ने काफी देर तक बारीकी से इस कुएं को लेकर भी आपस में मंथन किया। इस कुएं के अधिकार को लेकर राज्य सरकार और जामा मस्जिद कमेटी के बीच का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। जामा मस्जिद कमेटी के सदर ने बताया कि कुएं को देखने के लिए टीम ने कहा था। इसलिए ताला खुलवाकर टीम को कुआं दिखाया गया है।
