कैग रिपोर्ट ने एंबुलेंस सुविधा पर उठाए सवाल, कहा मरीजों को सुविधा देने से किया मना, सामने आए दूसरी कई समस्याएं भी।पूर्वी, शाहदरा और उत्तर पूर्व दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मरीजों को तत्काल राहत देने के लिए शुरू की गई बाइक एम्बुलेंस अब धूल फांक रही हैं। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग की तरफ से शुरू हुई योजना कुछ दिन चली, लेकिन कर्मचारियों के अभाव में योजना ने शुरू होने से पहले दम तोड़ दिया।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुई थी योजना
इस योजना के शुरू होने पर दिल्ली के भीड़-भाड़ इलाके में घायलों को तुरंत राहत मिलने की उम्मीद थी। दिल्ली विधानसभा में रखी गई कैग रिपोर्ट ने भी इस योजना पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के भीड़ भाड़ वाले इलाकों में चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए फरवरी 2018 में बाइक एम्बुलेंस को मंजूरी दी गई। इसमें मोटर साइकिलों का उपयोग करके प्रथम प्रतिक्रिया वाहन (एफआरवी) तैयार किए गए। पायलट प्रोजेक्ट के तहत मई 2018 में 12.84 लाख की लागत से 16 एफआरवी खरीदे गए। फरवरी 2019 में इन्हें पूर्वी, शाहदरा और उत्तर पूर्व जिलों को कवर करने के लिए तैनात किया गया। एफआरवी को नियमित सीएटीएस कर्मचारियों ने संचालित किया।
दोबारा योजना शुरू करने के नहीं हुए प्रयास
रिपोर्ट के ऑडिट में पाया गया कि इन एफआरवी को बाद में कर्मचारियों की कमी के कारण मार्च 2020 में वापस ले लिया गया। जून 2022 से सभी वाहन निष्क्रिय हैं। इन एफआरवी को चालू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। ऐसे में यह योजना मार्च 2020 से गैर-कार्यात्मक रही।
आउटसोर्स से कैट्स एम्बुलेंस में नहीं आया सुधार
घायलों को समय पर एम्बुलेंस की सुविधा देने के लिए 200 कैट्स एम्बुलेंस सुविधा को तीन साल के लिए अगस्त 2019 में आउटसोर्स किया गया। सेवा को देखते हुए इसे दो साल बढ़ा सकते थे। समझौते के तहत एजेंसी को 80 प्रतिशत कॉल में प्रतिक्रिया समय 15 मिनट के भीतर और शेष कॉल में 25 मिनट के भीतर रखना था। लेकिन दिसंबर 2019 तक एम्बुलेंस के औसत प्रतिक्रिया समय की गणना नहीं हुई। जनवरी 2020 से जुलाई 2020 के महीनों के दौरान औसत प्रतिक्रिया समय 28 से 56 मिनट के बीच था और सितंबर 2022 तक 15 मिनट तक सुधर गया।
निजी एम्बुलेंस को मनमाना किराया
कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली में टीकाकरण के लिए 265 एम्बुलेंस और 250 टैक्सी/कैब को किराया पर लिया गया। किराए पर ली गई एम्बुलेंस-कैब की वास्तविक आवश्यकता की फिर से समीक्षा की गई (अक्टूबर 2021) और 135 एम्बुलेंस और 320 कैब किराए पर लेने का फैसला किया गया। किराए पर ली गई 135 एम्बुलेंस की अवधि को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया। रिपोर्ट में पाया गया कि दिल्ली ने आपात स्थितियों में अतिरिक्त एम्बुलेंस किराए पर लेने के लिए किसी एजेंसी को सूचीबद्ध नहीं किया था। दिशा-निर्देश के अभाव में कैट्स एम्बुलेंस को बेतरतीब ढंग से किराए पर लिया गया।
एम्बुलेंस 90 फीसदी नहीं रहे सक्रिय
आउटसोर्स एजेंसी के साथ समझौते के तहत एजेंसी को एम्बुलेंस के 90 प्रतिशत बेड़े को 100 प्रतिशत अपटाइम के साथ सक्रिय रखना है। जनवरी 2018 से दिसंबर 2021 की अवधि के दौरान आउटसोर्स एजेंसी को सौंपी गई एम्बुलेंस और कॉल योग्य एम्बुलेंस की औसत संख्या का विवरण दिया गया। इसमें एजेंसी 2018-20 के दौरान 90 प्रतिशत एम्बुलेंस को कार्यात्मक नहीं रख सकी। ऐसे में कैट्स एम्बुलेंस सभी कॉलों को अटेंड करने में असमर्थ रही।
