उत्तर प्रदेश में कंस्ट्रक्शन कंपनी अंसल एपीआई को एनसीएलटी द्वारा दिवालिया घोषित कर दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने अंसल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट और रियल एस्टेट विशेषज्ञ रीना एन सिंह ने सुझाव दिया है कि यूपी सरकार को चाहिए कि वह अंसल के प्रोजेक्ट्स को टेकओवर कर ले और लोगों को उनके फ्लैट सौंप दे। उन्होंने कहा कि इससे सरकार को प्रोजेक्ट और ज़मीन कम कीमत में मिल जाएगी और यह सरकार की संपत्ति बन जाएगी। साथ ही, होम बायर्स को लंबी कानूनी लड़ाई से मुक्ति मिल जाएगी। रीना एन सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों में होम बायर्स को लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है, जिसके बाद भी उन्हें अपने पैसे और घर के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में भी ऐसी घटनाएं आम हैं, जहां प्राइवेट बिल्डर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाते और लोगों की गाढ़ी कमाई डूब जाती है। बाद में कंपनियां दिवालिया हो जाती हैं, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंसल के निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा विकल्प यही है कि सरकार कंपनी के प्रोजेक्ट्स को टेकओवर कर ले। इससे न केवल होम बायर्स को उनके फ्लैट मिल जाएंगे, बल्कि सरकार को भी कम लागत में प्रोजेक्ट और ज़मीन मिल जाएगी। यह कदम सरकार और आम लोगों, दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता
रीना एन सिंह ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में सरकारी हस्तक्षेप न केवल निवेशकों के हितों की रक्षा करेगा, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में विश्वास भी बहाल करेगा। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में त्वरित कार्रवाई करे और होम बायर्स को उनके अधिकार दिलाए। इससे न केवल लोगों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि सरकार की छवि भी मजबूत होगी। इस प्रकार, अंसल के प्रोजेक्ट्स को टेकओवर करने का सुझाव न केवल होम बायर्स के लिए राहत भरा कदम साबित हो सकता है, बल्कि सरकार के लिए भी एक स्ट्रैटेजिक फैसला होगा। यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
