22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ता गया। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया और खूंखार दहशतगर्दों को ढेर कर दिया। बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमले की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन नाकाम रहे। जवाब में भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और उसके घर में घुसकर कई जख्म दिए। इसके बाद पड़ोसी को संघर्ष विराम के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा।ऑपरेशन सिंदूर के बाद संघर्ष विराम से पहले आतंकवाद के सवाल पर भारत ने पड़ोसी पाकिस्तान के लिए एक लक्ष्मण रेखा खींच दी। सीजफायर को स्वीकार करने से पहले भारत ने घोषित कर दिया कि अब भविष्य में देश के अंदर होने वाली एक भी आतंकी घटना को वह अपने खिलाफ युद्ध मानेगा। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि भविष्य में ऐसी आतंकी कार्रवाई के खिलाफ जवाबी सैन्य कार्रवाई के लिए भारत ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया है। इससे पहले भारत ने पाकिस्तान को कई जख्म दिए। आइए हम आपको बताते हैं कि भारतीय सशस्त्र बलों के ऑपरेशन सिंदूर से क्या हासिल हुआ, इससे भारत ने आतंकवाद के पनाहगार पाकिस्तान को क्या संदेश दिया और दुनिया को इससे क्या संकेत दिया?भारत और पाकिस्तान ने चार दिन के संघर्ष के बाद शनिवार को संघर्ष विराम का एलान किया, लेकिन कुछ घंटे बाद ही सीमा पर फिर से गोलीबारी और सीमावर्ती जिलों में ड्रोन घुसपैठ से हालात फिर से बिगड़ते दिखे। भारत ने सेना को किसी भी कार्रवाई का उसी तरीके से जवाब देने का आदेश दिया। हालांकि, देर रात के बाद शांति बहाल हुई। इस बीच सेना ने सोमवार को बताया कि भारत-पाकिस्तान में संघर्ष विराम के बाद बीती रात जम्मू कश्मीर में शांति रही और गोलीबारी की कोई घटना नहीं हुई।हर मोर्चे पर पाकिस्तान के लिए स्थिति खराब होती गई। वे लड़ाई के हर दौर में भारत से हार गए। पाकिस्तान के हवाई ठिकानों पर हमारे हमलों के बाद पाकिस्तान को एहसास हो गया कि वे इस संघर्ष में कहीं नहीं टिकने वाले हैं। भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि अब कुछ भी सुरक्षित नहीं है। यह नया दौर है और अब यही आम बात है।आईएसआई से करीबी तौर पर जुड़े मुरीदके, बहावलपुर के आतंकी शिविरों पर हमला करने के बाद भारत ने जो संदेश दिया है, वह यह है कि हमने अपनी नजरें बंद नहीं की हैं। हम आपको मुख्यालय में भी मार सकते हैं। अब हम छोटे शिविरों पर हमला नहीं करेंगे। भारत ने दुनिया को यह स्पष्ट कर दिया है कि आप पीड़ितों और गुनहगारों को एक चश्मे से नहीं देख सकते।
