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पीएम मोदी ने खोली पड़ोसी की पोल


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शरीर कितना भी सेहतमंद क्यों न हो, अगर कांटा चुभता है तो पूरे शरीर को दर्द होता है। इसलिए हमने तय कर लिया कि उस कांटे को निकाल कर ही दम लेंगे। आतंकवादियों ने जब पीओके पर अवैध कब्जा किया, अगर उसी दिन उन मुजाहिद्दीनों को मौत के घाट उतार दिया गया होता तो आज ये हालात न होते।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात दौरे का आज दूसरा दिन है। उन्होंने गांधीनगर के महात्मा मंदिर में 5,536 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान और आतंकवादियों पर करारा हमला बोला। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज गांधीनगर में हूं। मैं जहां-जहां गया वहां गर्जना करता सिंदूरिया सागर और लहराता तिरंगा जन-जन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम और देशभक्ति का ज्वार देखने को मिल रहा है। ये दृश्य सिर्फ गुजरात में नहीं है, हिंदुस्तान के कोने-कोने में है, हर हिंदुस्तानी के दिल में है। यह देखने लायक दृश्य था, यह अविस्मरणीय दृश्य था…’ पीएम मोदी ने कहा कि शरीर चाहे कितना भी मजबूत या स्वस्थ क्यों न हो, एक भी कांटा लगातार दर्द दे सकता है। इसलिए हमने तय किया है कि कांटा निकालना ही होगा। 1947 में मां भारती के टुकड़े हुए। कटनी चाहिए थीं जंजीरें, लेकिन काट दी गईं भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर मुजाहिदीनों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदीनों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मान ली गई होती, तो 75 साल से चला आ रहा ये आतंकी घटनाओं का सिलसिला देखने को नहीं मिलता। सरदार पटेल चाहते थे कि जब तक पीओके हमें वापस न मिल जाए, सेना वापस नहीं आनी चाहिए, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई।उन्होंने कहा कि ये मुजाहिद्दीन के मुंह में खून लग गया था। ये सिलसिला 75 सालों से चल रहा है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम इसे झेलते रहे। पाकिस्तान के साथ जब-जब युद्ध की नौबत आई, हर बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान के धूल चटा दी। पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वह भारत से जीत नहीं सकता। इसीलिए उसने प्रॉक्सी वॉर का सहारा लिया। उसने आतंकी तैयार करने शुरू किए। उन्हें भारत भेजने लगा। हम जब उनके आतंकियों को घर में घुसकर मारते हैं तो वे सम्मान के साथ दहशतगर्दों को विदाई देते हैं। उन्होंने कहा कि जब आतंकवाद के 9 ठिकानों को तय करके 22 मिनट में ध्वस्त कर दिया, तब सबकुछ कैमरे के सामने किया गया। ऐसा इसलिए कि यहां कोई सबूत न मांगने लगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ा रहा है। सामने वाला खुद ही सबूत पर सबूत दे रहा है। 6 मई की रात जो लोग मारे गए, पाकिस्तान में उन जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया। उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया। ये सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है, ये पाकिस्तान की सोची-समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा।उन्होंने कहा कि हमारा देश महान संस्कृति परंपरा को लेकर चला है। वसुधैव कुटुंबकम हमारा संस्कार है। हमारी रग-रग में है। हमारा चरित्र है। हमने इसे जिया है। वे भी सुख- चैन से जीएं और हमें भी जीने दें। हजारों वर्षों से यही हमारा चिंतन रहा है। हम निष्ठ भाव के साथ कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। इसके बावजूद जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकार जाए तो यह देश वीरों की भी भूमि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं नई पीढ़ी को बताना चाहता हूं कि कैसे हमारे देश को बर्बाद कर दिया गया। अगर आप 1960 की सिंधु जल संधि का अध्ययन करेंगे, तो आपको झटका लगेगा। यह तय हुआ था कि जम्मू-कश्मीर की नदियों पर बने बांधों की सफाई नहीं की जाएगी। गाद निकालने का काम नहीं किया जाएगा। गंदगी साफ करने के लिए नीचे के गेट बंद रहेंगे। 60 साल तक ये गेट कभी नहीं खोले गए। जिन जलाशयों को 100% क्षमता तक भरना था, वे अब केवल 2% या 3% तक ही सीमित रह गए हैं। अभी, मैंने कुछ नहीं किया है और लोग वहां (पाकिस्तान) पसीना बहा रहे हैं। हमने बांधों की सफाई के लिए छोटे-छोटे गेट खोले हैं और वहां पहले से ही बाढ़ आ गई है।पीएम मोदी ने कहा, ‘कल 26 मई थी… 2014 में 26 मई को मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। उस समय, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेलीं, प्राकृतिक आपदा भी झेली इसके बावजूद इतने कम समय में हम 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बने। क्योंकि हम विकास चाहते हैं, प्रगति चाहते हैं। हमारा लक्ष्य है… 2047 में हिंदुस्तान को विकसित होना ही चाहिए। हम आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता रहेगा।’उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि हमने छठे से पांचवें स्थान पर पहुंचने का जश्न मनाया था। यह क्षण विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि हमने उसी देश को पीछे छोड़ दिया, जिसने 250 वर्षों तक हम पर शासन किया। अब, जब हम चौथे स्थान पर पहुंच गए हैं, तो तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का दबाव बढ़ रहा है। उससे भी अधिक दृढ़ संकल्प की जरूरत है। यह देश अब इंतजार नहीं करना चाहता। अगर कोई सुझाव देता है कि हमें धैर्य रखना चाहिए, तो आप आवाजें सुन सकते हैं कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।’ इसलिए हमारा स्पष्ट लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।’पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया में हीरा के लिए जाना जाता है। उन्होंने यह भी कहा, ‘जब गुजरात 2035 में 75 साल पूरे करेगा, तो मेरा मानना है कि हमें अगले 10 सालों के लिए अभी से योजना बनानी शुरू कर देनी चाहिए। हमें एक विजन तय करना होगा कि तब तक गुजरात उद्योग, कृषि, शिक्षा और खेल के क्षेत्र में कहां पहुंच जाएगा। जब गुजरात 75 साल का हो जाएगा, उसके ठीक एक साल बाद ओलंपिक आयोजित किए जाएंगे। देश की इच्छा है कि ओलंपिक भारत में आयोजित किए जाएं…।’

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