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आईजी स्टांप हटाए गए, 210 ट्रांसफर हुए निरस्त


स्टांप एवं पंजीयन विभाग में तबादलों में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत पर कड़ी कार्रवाई करते हुए आईजी स्टांप को हटा दिया गया है। वहीं, सभी तबादले भी निरस्त कर दिए गए हैं।स्टांप एवं पंजीयन विभाग में हुए तबादलों में बड़े पैमाने पर पैसे के लेनदेन की शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए महानिरीक्षक निबंधक (आईजी स्टांप) समीर वर्मा को हटाकर प्रतिक्षारत कर दिया है। साथ ही उनके द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को भी रद्द कर दिया है।मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल की शिकायत पर की है। जायसवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आईजी स्टांप द्वारा किए गए तबादलों में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। सीएम ने मामले की जांच कराने के भी आदेश दिए हैं। वहीं, स्टांप और परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव अमित गुप्ता को आईजी स्टांप का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।दरअसल, तबादला सीजन में शासन स्तर से 4 उप महानिरीक्षक और 18 सहायक महानिरीक्षकों का तबादला किया गया था। वहीं आईजी स्टांप ने मंत्री से चर्चा किए बिना ही 58 उप निबंधकों के अलावा 114 लिपिकों, 8 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अलावा 30 नए कर्मचारियों का तबादला कर दिया। रवींद्र जायसवाल ने पत्र में समीर वर्मा पर खुलेआम भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि उन्हें समूह ख एवं ग श्रेणी के 210 अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले में भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी। आईजी ने तमाम भ्रष्ट और जांच से घिरे अधिकारियों को बड़े बड़े जिलों में तैनाती दे दी है। इसके लिए लाखों रुपये के लेनदेन की जानकारी मिली थी। मंत्री ने तबादले में आईजी स्टांप की भूमिका को भी संदिग्ध बताया है।
मंत्री ने सीएम को लिखे पत्र में समीर वर्मा पर लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप
जायसवाल ने पत्र में यह भी लिखा है कि आईजी ने सभी तबादले 13 जून को ही कर दिए थे और खानापूर्ति के लिए 15 जून को मेरे सामने तबादलों की सूची रखी थी। उन्होंने आरोप लगाया है कि आईजी द्वारा महत्वपूर्ण कार्यालयों में प्रभारी उप निबंधकों और लिपिक से प्रोन्नत उप निबंधकों को मानक के विपरीत तैनात कर दिया है। मंत्री ने लिखा है कि बार-बार मांगने के बाद भी आईजी ने उप निबंधकों की तैनाती का प्रस्ताव उपलब्ध
नहीं कराया।
आईजी स्तर पर हुए तबादलों में सर्वाधिक गड़बड़ी
स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा कि आईजी स्तर पर हुए तबादलों में सर्वाधिक गड़बड़ी सामने आई है। मुख्यमंत्री ने पूरी पारदर्शिता और मेरिट के आधार पर स्थानांतरण का आदेश दिया है। लेकिन, बाबुओं और सव रजिस्ट्रार का जो तबादला हुआ, उसके लिए कोई सहमति नहीं ली गई। सूची आने पर सामने आया कि तबादलों में पारदर्शिता नहीं बरती गई। एक इंटर पास बाबू को रजिस्ट्रार बना दिया। इन सभी शिकायतों का मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेकर तबादलों पर रोक लगाने के साथ जांच करने का आदेश दिया है।
अखिलेश बोले- फीस न मिली तो फाइल लौटा दी
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्रांसफर रद्द करने पर सोशल मीडिया साइट एक्स पर तंज कसते हुए कहा कि जिसको ट्रांसफ़र में नहीं मिला हिस्सा। वही राज खोलके सुना रहा है किस्सा। सच तो ये है कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफर की फ़ाइल की ‘फीस’ नहीं मिलने पर फाइल लौटा दी है। सुना तो ये था कि इंजन ईंधन की माँग करता है पर यहां तो डिब्बा तक अपने ईंधन के जुगाड़ में लगा है।
एसटीएफ से जांच कराने का अनुरोध
स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आईजी स्टांप समीर वर्मा द्वारा किए गए सभी तबादलों की जांच एसटीएफ से कराने का भी अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने आईजी स्टांप को विभाग से हटाने व लंबी छुट्टी पर भेजने और उनके स्तर से किए सभी तबादलों को निरस्त करने का भी अनुरोध किया था। इसी आधार पर सीएम ने सभी तबादलों को रद्द करते हुए पूरे प्रकरण की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
बिल्डर के इशारे पर भी हुए खूब तबादले
मेरठ के बिल्डर के इशारे पर भी खूब तबादले हुए। सूत्रों का कहना है कि आईजी स्टांप समीर वर्मा में मेरठ में डीएम रहे हैं। तभी से उनकी वहां के एक बिल्डर से याराना था। सूत्रों की माने तो डीएम पद से हटने के बाद भी शर्मा बिल्डर की पैरवी खूब करते रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बार नोएडा से लेकर पूरे एनसीआर में शामिल यूपी के जिलों में उसी बिल्डर के इशारे पर तबादले किए गए और इसमें जमकर धन की उगाही किए जाने की शिकायत ऊपर तक पहुंची है।
स्वास्थ्य विभाग में भी तबादले पर रार, निदेशक भवानी सिंह हटाए गए
स्वास्थ्य विभाग में तबादले को लेकर चल रही रार में निदेशक (प्रशासन) भवानी सिंह खंगारौत हटाकर प्रतीक्षारत कर दिए गए हैं।
उनका कार्यभार चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की विशेष सचिव आर्यका अखौरी को सौंपा गया है। भवानी सिंह को हटाने के पीछे भी विभाग में तबादलों को लेकर चल रही जिद को मुख्य वजह माना जा रहा है। दरअसल, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में इस वर्ष तबादले नहीं हुए हैं।
तबादले को लेकर अंदरखाने रार चल रही है। यही वजह है कि महानिदेशालय की ओर से भेजी गई सूची पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सिर्फ सीन (संज्ञान लिया) लिखकर छोड़ दिया। ऐसे में इस वर्ष किसी भी कार्मिक का तबादला नहीं हो सका है। उप मुख्यमंत्री की नाराजगी को देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि किसी न किसी उच्च अधिकारी पर गाज गिरनी तय है।

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