लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का लोकसभा चुनाव में 30 सीटों पर विशेष ध्यान है। फतेह खातिर उनका मेगा प्लान है। जिन सीटों पर विशेष ध्यान है, उनमें 17 आरक्षित अैर 13 मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं। सपा उन सीटों को भी जीतना चाहती है जिन पर पिछली बार जीती थी या कम अंतर से हारी थी। अखिलेश यादव ने कोर कमेटी के साथ बैठक कर प्लान तैयार किया है। इन सीटों पर पुराने नेता लगेंगे जो और वे क्षेत्र में कैंप करेंगे।सपा मुस्लिम वोटों का बंटवारा किसी भी परिस्थिति में नहीं चाहती है। सपा और कांग्रेस गठबंधन इसी रणनीति का हिस्सा है। सपा की मंशा मुस्लिम वोटों का बंटवारा न होने देने की है। बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार उतरने पर सपा बताने की कोशिश करेगी कि वह भाजपा से मिली हुई है।उत्तर प्रदेश में मुस्लिम बाहुल्य 13 सीटें हैं, इनमें दो आरक्षित वर्ग में आती हैं। अखिलेश का एनडीए बनाम पीडीए का नारा है।ओबीसी, दलित व मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया जा रहा है। अब तक घोषित उम्मीदवारों में सर्वाधिक इसी वर्ग के हैं। जल्द घोषित होने वाली सीटों में भी इन्हीं वर्गों पर फोकस होगा। सपा दलित और पिछड़े वर्गों के साथ मुस्लिमों की जाति विशेष राजनीति करने वाले छोटे दलों को अपने साथ लाकर बंटवारा रोकने की कोशिश करेगी। यूपी की आरक्षित सीटें क्रमशः बहराइच, शाहजहांपुर, मिश्रिख, जालौन, बुलदंशहर, मछलीशहर, इटावा, नगीना, हरदोई, बासगांव, मोहनलालगंज, राबर्टसगंज, हाथरस, लालगंज, आगरा, बाराबंकी और कौशांबी हैं। मुस्लिम बाहुल्य वाली सीटें मुरादाबाद, संभल, सहारनपुर, अमरोहा, बिजनौर, रामपुर, कैराना, मेरठ, श्रावस्ती, मुजफ्फरनगर, बरेली, बहराइच व नगीना हैं। नगीना व बहराइच आरक्षित हैं लेकिन मुस्लिम समुदाय की यहां भी आबादी ज्यादा है। 2014 के चुनाव में सपा ने मैनपुरी, आजमगढ़, मुरादाबाद, संभल व रामपुर जीती थी। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बाद में आजमगढ़ से इस्तीफा दे दिया।सपा पीडीए बनाम एनडीए यूपी में बनाना चाहती है।
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