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मतदान समाप्ति के तत्काल बाद उत्तर प्रदेश में एक और टैक्स थोपने की तैयारी


वाहनों पर लगेगा भारी- भरकम “सड़क सुरक्षा सेस”,भाकपा ने सभी से प्रबल विरोध करने की अपील की
लखनऊ । मतदान के आखिरी दिन- 1 जून के बाद किसी भी दिन उत्तर प्रदेश वासियों की पाकिट पर बुलडोजर चलने जा रहा है। सावधान हो जाइये आपके वाहन पर एक और नया टैक्स-“सड़क सुरक्षा सेस” लगाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इंतजार है तो बस आपके वोट के म्टड में बन्द हो जाने का। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश सरकार की इस तुगलकी योजना को सिरे से खारिज करती है और इस जनविरोधी प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डालने की मांग करती है। भाकपा प्रत्येक पार्टी और हर नागरिक से अपील करती है कि उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रस्तावित कदम का पुरजोर विरोध करें। इस प्रस्तावित टैक्स गहरी आपत्ति जताते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं राज्य प्रभारी डा॰ गिरीश ने कहा कि वाहनों और यात्रा पर फले से ही दर्जन भर टैक्स लगा चुकी डबल इंजन सरकार अब वाहन स्वामियों और मुसाफिरों की जेब पर डाका डालने को एक और टैक्स थोपने की तैयारियों में जुटी है। यहां जारी एक प्रेस बयान में डा॰ गिरीश ने कहा कि परिवहन विभाग के सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के वाहनों पर सड़क सुरक्षा सेस लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 1 जून को होने वाले आखिरी मतदान के बाद इसे अंतिम रूप देकर किसी भी दिन शासन के पास भेज दिया जायेगा। इस प्रस्ताव के पीछे भगवा सरकार की अफसरशाही का तर्क है कि वाहनों के बढ़ते दबाव से प्रदेश भर की सड़कें टूटती हैं। सड़क सुरक्षा सेस के जरिये बसूले जाने वाले राजस्व से टूटी सड़कों का मेंटीनेन्स तत्काल होता रहेगा। सवाल यह उठता है कि सड़कों के निर्माण और मरम्मत के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारें कोई एक दर्जन टैक्स लगा कर वाहनस्वामियों और यात्रा करने वालों की जेब से जब अरबों खरबों रुपये निकाल रही हैं, तो एक और नया टैक्स क्यों? जब केंद्रीय परिवहन मंत्री दावा करते हैं कि उनके पास धन की कोई कमी नहीं है, तो उपभोक्ताओं पर यह एक और कुठाराघात क्यों? हम बार बार यह सवाल उठाते रहे हैं कि भाजपा सरकार एक देश एक टैक्स की बात करती है मगर वाहन और यात्रा पर कई कई भारी भरकम टैक्स लगाये हुये हैं। वाहन खरीद को ही लें तो इस पर अच्छी भली जीएसटी देनी होती है, फिर भारी रोड टैक्स और इंश्योरेंस। वाहनों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी, जीएसटी, सेस और स्थानीय टैक्स देने पड़ते हैं। इन सभी टैक्सों से बसूले धन से बनने वाली सड़कों पर फिर जबर्दस्त टोल टैक्स बसूला जाता है। और जब इतने से भी सरकार का पेट नहीं भरता तो स्पीड सीमा निर्धारित कर दो हजार की पैनल्टी बसूली जाती है। इतना ही नहीं आए दिन ‘नंबर प्लेट्स’ संबंधी नियम बदल दिये जाते हैं और बदलने के ठेके निजी कंपनियों को दे दिये जाते हैं जिसकी कीमत और प्रदूषण के नाम पर अलग टैक्स देना होता है। नए मोटर वाहन कानून के जरिये भारी अर्थदण्ड और कड़ी सजा के प्रावधान सरकार द्वारा किए जा चुके हैं जिन्हें जनदबाव के कारण फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल रखा है। डा॰ गिरीश ने खुलासा किया कि प्रस्तावित सड़क सुरक्षा सेस की दरें भी काफी हैरान करने वाली होंगी, जिससे करदाता हिल कर रह जायेंगे। सूत्रों के अनुसार छोटे वाहनों पर एक प्रतिशत, तो भारी वाहनों पर दो प्रतिशत सेस बसूलने की योजना है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी कार की कीमत यदि दस लाख रुपये है तो उस पर दस हजार रुपये और किसी कार या भारी वाहन की कीमत यदि 50 लाख है तो उसे 50 हजार रुपये सेस देना होगा। इससे सार्वजनिक परिवहन- यात्रा और माल ढुलाई महंगी हो जायेगी, जो सभी चीजों की कीमतें बढ़ाने का कारण बनेगी। डा॰ गिरीश ने कहा कि वाहन और ईंधन के विक्रय पर कर रूप में मिली इस विपुल धनराशि के उपयोग और निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार है। इस महाभ्रष्टाचार से लाभान्वित सरकार और अफसरशाही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बजाय जनता पर भार बढ़ाती जा रही है। सत्ताधारियों द्वारा धर्म और जाति के आडंबर में फंसायी गयी जनता सबकुछ सहती जा रही है। लेकिन जनता को जाग्रत कर उसे विरोध के लिए लामबंद करना होगा और इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा, डा॰ गिरीश ने जोर देकर कहा है।

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