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गोरखपुर लोकसभा सीटरूरवि किशन और काजल निषाद में कड़ी जंग


आज पड़ेंगे वोट, निषाद मतदाता निर्णायक
काजल ने की भावुक अपील तो योगी बोले, रामद्रोही के साथ खड़ा नहीं हो सकता निषाद समाज
लखनऊ । गोरखपुर लोकसभा सीट की भी हॉट सीट में शुमारी होती है। यह सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट रही है। यहाँ प्रत्याशी बीजेपी किसी को भी बनाये लेकिन प्रतिष्ठा योगी आदित्यनाथ की जुड़ जाती है। मुख्यमंत्री ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिए हैं। कल मतदान होगा और वोटर अपनी मर्जी ईवीएम मशीन का बटन दबाकर बताने वाले हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले की गोरखपुर लोकसभा सीट पर दो कलाकारों की बीच जंग है। कल पहली जून को मतदाताओं को ईवीएम का बटन दबाकर अपना निर्णय देना है जो 4 जून को मतगणना के साथ एक उम्मीदवार को संसद भवन नई दिल्ली में एंट्री दिलायेगा। सपा प्रत्याशी काजल निषाद की सोशल मीडिया पर निषाद वोटरों से रोते हुए भावुक अपील फैली है जिसमें कहती हैं कि भाजपा सांसद रवि किशन शुक्ला को निषादों के शरीर से पसीने की बदबू आती है। अब निषाद समाज एकजुट नहीं हुआ तो कभी कोई राजनीतिक पार्टी निषाद बिरादरी के नेता को टिकट नहीं देगी।सपा प्रत्याशी का रोते हुए वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। काजल कहती सुनाई दे रही हैं कि समाज का साथ चाहिए। इस बार समर्थन नहीं मिला तो निषाद बिरादरी का सम्मान नहीं बचेगा। काजल कहती हैं कि 01 जून को मेरा जन्मदिन है। इस दिन एक वोट मांग रही हूं। गोरखपुर लोकसभा सीट पर निषाद बिरादरी निर्णायक होते हैं। करीब 4 लाख निषाद वोटर हैं।अलग-अलग समय में भाजपा से लेकर सपा के साथ जुड़ते रहे हैं। निषाद बिरादरी का गोरक्षपीठ के साथ जुड़ाव रहा है। सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके स्व.जमुना निषाद ने निषाद वोटरों के बल पर 2004 के चुनाव में योगी आदित्यनाथ को कड़ी टक्कर दी थी। गोरक्षपीठ की तीन दशकों तक गोरखपुर सीट पर जीत अभियान को ब्रेक लगाकर उपचुनाव में हराने वाला निषाद ही था। 1999 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा के टिकट पर निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ.संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने भाजपा के उपेन्द्र दत्त शुक्ला को हराकर जीत हासिल की थी। अब प्रवीण निषाद भाजपा में हैं। वे संतकबीरनगर से भाजपा के सासंद है। इस बार भी भाजपा के टिकट पर चुनावी समर में हैं। गोरखपुर लोकसभा सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर है। वे हर सभी विधानसभाओं में सभा के साथ ही रोड शो कर चुके हैं। वोटरों से 2019 में हुए जीत के अंतर को बढ़ाने की बात कही हैं। कैम्पियरगंज में हुई जनसभा में योगी ने कहा था किअयोध्या में श्रद्धालुओं के लिए ठहरने के स्थान निषाद राज के नाम पर है। प्रयागराज में निषाद राज की 56 फीट ऊंची प्रतिमा लग रही है। भगवान राम और निषाद राज का मैत्री अयोध्या ही नहीं प्रयागराज में भी दिखता है। निषाद समाज रामद्रोही के साथ खड़ा नहीं हो सकता है। पूर्वांचल की सियासी जमीन निषाद राजनीति के लिए उर्वरा है। पूर्व सांसद फूलन देवी के पति उमेद सिंह ने भी पिपराइच से राजनीतिक भविष्य तलाशा था। गोरखपुर मंडल की 28 विधानसभा व छह संसदीय क्षेत्रों में निषाद बिरादरी का मजबूत दखल है। कौड़ीराम विधानसभा क्षेत्र में गौरी देवी विधायक थीं और अपने पति रवींद्र सिंह के यश और अपनी उपस्थिति के बल पर वह अपराजेय मानी जाती थीं। 1985 में उन्हें कांग्रेस से निषाद बिरादरी के लालचंद निषाद ने ही पराजित किया और गोरखपुर के पहले निषाद विधायक बने। निषाद राजनीति का उभार जमुना निषाद के दखल के बाद माना जाता है। नब्बे के दशक में जमुना निषाद ब्रह्मलीन महंत अवेद्य नाथ के करीबी के रूप में सुर्खियों में आए। जमुना निषाद गोरक्षपीठ के विरोध में खड़े हो गए। निषाद बिरादरी में आई राजनीतिक चेतना के बल पर सपा के टिकट पर जमुना निषाद ने लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को कड़ी टक्कर दी। सबसे कम अंतर 7,339 वोट से योगी को 1999 के लोकसभा चुनाव में जीत मिली। निषाद बिरादरी के नाम पर दर्जन भर संगठन सक्रिय हैं। कसरवल कांड के बाद सुर्खियों में आए डॉ. संजय निषाद राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के बैनर तले तीन वर्षों से निषाद आरक्षण की मांग बुलंद कर रहे हैं। जमुना निषाद की हादसे में मौत के बाद उनकी राजनीतिक विरासत पत्नी राजमती निषाद और बेटे अमरेन्द्र निषाद संभाल रहे हैं। बसपा में पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद सपा में हैं। सपा ने उन्हें सुल्तानपुर से भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के मुकाबले उतारा है। चौरीचौरा से विधायक रहे जयप्रकाश निषाद अब भाजपा में हैं। रुद्रपुर से दो बार विधायक जयप्रकाश निषाद व एमएलसी रामसुंदर दास निषाद बिरादरी के प्रमुख चेहरे हैं। गोरखपुर में निषाद मतदाताओं की मर्जी बहुत मायने रखेगी।

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