उरई/जालौन। 4 जून को जालौन-गरौठा-भोगनीपुर लोकसभा सुरक्षित सीट का परिणाम घोषित हो गया। जिसमें समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नारायण दास अहिरवार ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा को 53898 मतों से हराकर 15 साल बाद समाजवादी पार्टी को जीत दिलाने में कामयाबी दिलाई है। सपा की जीत के दो प्रमुख कारण रहे। पहला कारण सपा प्रत्याशी की छवि बेदाग होना और सपा बसपा के मिशनरी कार्यकर्ता को चुनावी मैदान में उतारना, वहीं दूसरा प्रमुख कारण भाजपा पदाधिकारियों में अंदरूनी कलह और भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय राज्यमंत्री का जनता से दूरी बनाना। भारतीय जनता पार्टी की जालौन सुरक्षित लोकसभा सीट पर हार के प्रमुख कारण पार्टी की अंदरूनी कलह है। भाजपा प्रत्याशी भानु प्रताप वर्मा के साथ पार्टी के लोग चुनाव प्रचार में लगे जरूर थे, मगर कोई भी उनका साथ अंतरात्मा से नहीं दे रहा था। वहीं पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज करते हुए बाहरी पार्टी से शामिल कराए गए लोगों पर विश्वास जताना भी उन्हें इस चुनाव में भारी पड़ गया। जिस कारण पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता भाजपा प्रत्याशी, केंद्रीय राज्यमंत्री को जिताने की जगह उन्हे हराने पर ज्यादा जोर देने में लगे थे। वहीं दूसरा कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात न करना और किसी के सुख दुरूख में साथ न देना रहा, वह कुछ खास लोगों से घिरे रहते थे और वही खास लोग जब चाहते थे तभी सांसद, केंद्रीय राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा से मिल पाते थे। जब 2021 में उन्हें मोदी 2.0 के दूसरे मंत्री मंडल विस्तार में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया, उसके बाद से कार्यकर्ताओं के लिए मिलना मुश्किल हो गया था। इतना ही नहीं यदि कोई कार्यकर्ता अपनी परेशानी लेकर उनके पास पहुंचता था, तो पहले उसे यह कहकर चुप कर दिया जाता था कि उसकी गलती होगी, लेकिन किसी प्रकार की सिफारिश या उसकी मदद नहीं की जाती थी, जिस कारण पार्टी के लोगों के बीच उनके खिलाफ एक धारणा बन चुकी थी और अंतर कलह भी खुलकर आ रहा था। केंद्रीय राज्य मंत्री पांच बार के सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा का जालौन में खुद का वजूद नहीं था। वह जब भी जीते हैं किसी न किसी फैक्टर के कारण जीते हैं, पिछले 10 वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर चुनाव जीत रहे थे, इस बार वह पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सहारे अपनी जीत की हैट्रिक लगाना चाहते थे, मगर जनता ने इस बार नकार दिया, क्योंकि केंद्रीय राज्य मंत्री होने के बावजूद भी जालौन लोकसभा क्षेत्र में कोई भी विकास का काम नहीं हुआ, जिससे जनता उन्हें लगातार तीसरी बार चुनती। पांच बार के सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा हमेशा किसी न किसी फैक्टर के कारण जीते हैं, वह खुद के बजूद के कारण कभी भी इस सीट को नहीं जीत पाए हैं। जब सन 1996 में उन्हें उप चुनाव में जीत मिली थी, तब राममंदिर का मुद्दा हावी था, 1998 में कोई बड़ा चेहरा उनके सामने नहीं था और जनता में बेदाग छवि थी, इसलिए उन्हें जीत मिली थी, 1999 में वह चुनाव हार गए थे। 2004 में साइनिंग इंडिया के नाम और बीएसपी के सांसद से जनता की नाराजगी और सपा के बाहरी प्रत्याशी का होना भानु को जीत दिला गया था, 2009 में उन्हें सपा प्रत्याशी ने हरा दिया था, और वह तीसरे नम्बर पर रहे थे, तब उन पर सांसद निधि का उपयोग न करने का आरोप लगा था। 2014 और 2019 में मोदी के नाम पर भाजपा प्रत्याशी भानु प्रताप वर्मा को भारी वोटो से जीत मिली थी और रिकॉर्ड बड़ी जीत 52 फीसदी वोटो के साथ 2019 में मिली थी, मगर उनके द्वारा जालौन में कोई भी विकास का काम नहीं कराया गया, जनता से दूरी बनाना, इस चुनाव में उन्हें भारी पड़ गया और सपा प्रत्याशी नारायण दास अहिरवार से हार का सामना करना पड़ा।
