टेस्ला और स्पेसएक्स के प्रमुख एलन मस्क ने शनिवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को खत्म करने की बात कही, जिसका अब पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने विरोध किया है। दरअसल, शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर मस्क ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के हैक होने की संभावित कमज़ोरियों के बारे में चिंता जताई थी। अपने ट्वीट में मस्क ने लिखा, ‘हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खत्म कर देना चाहिए। मनुष्यों या एआई द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है।’
मस्क की टिप्पणी पर अब पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने प्रतिक्रिया दी है। एक्स पर मस्क के ट्वीट का जवाब देते हुए चंद्रशेखर ने लिखा, ‘यह बहुत बड़ा व्यापक सामान्यीकरण कथन है जिसका अर्थ है कि कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता, गलत।’ उन्होंने आगे लिखा कि कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ नहीं, वाईफ़ाई नहीं, इंटरनेट नहीं; कोई रास्ता नहीं है। फ़ैक्टरी-प्रोग्राम किए गए नियंत्रक जिन्हें फिर से प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को ठीक उसी तरह से डिज़ाइन और बनाया जा सकता है जैसा कि भारत ने किया है। हमें एक ट्यूटोरियल चलाने में खुशी होगी, एलन।
चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का इस्तेमाल हमेशा विवादों में रहा है। प्यूर्टो रिको के हालिया प्राथमिक चुनावों में हुई गड़बड़ी ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है। अनजान लोगों को बता दें, प्यूर्टो रिको में हाल ही में प्राथमिक चुनाव हुए, जो ईवीएम से जुड़ी कई अनियमितताओं से ग्रस्त थे। हालाँकि, पेपर ट्रेल की मदद से चुनाव अधिकारियों को वोटों की संख्या की सही पहचान करने में मदद मिली।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भतीजे और 2024 के अमेरिकी चुनावों के लिए एक स्वतंत्र उम्मीदवार रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने मुद्दे पर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, प्यूर्टो रिको के प्राथमिक चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से संबंधित सैकड़ों मतदान अनियमितताएँ देखी गईं।’ पेपर बैलेट की वापसी की वकालत करते हुए जूनियर ने लिखा, ‘सौभाग्य से, वहाँ एक पेपर ट्रेल था इसलिए समस्या की पहचान की गई और वोटों की गिनती को सही किया गया। उन अधिकार क्षेत्रों में क्या होता है जहाँ कोई पेपर ट्रेल नहीं है?’
जबकि पूरी दुनिया में ईवीएम को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, भारत इसे लेकर आश्वस्त है। भारत में तीसरी पीढ़ी की ईवीएम का उपयोग किया जाता है, जिसे एम3 ई.वी.एम. के रूप में जाना जाता है। इस तीसरी पीढ़ी की ईवीएम को छेड़छाड़-रोधी बनाया गया है। अगर इन मशीनों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ की जाती है तो ये ‘सुरक्षा मोड’ में चली जाती हैं। बता दें, तीन प्रतिष्ठित आईआईटी के प्रोफेसरों की एक समर्पित टीम ने भारतीय ईवीएम के हालिया अपडेट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा ईवीएम की मजबूती और सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए भारत के चुनाव आयोग को एक प्रतिष्ठित तकनीकी विशेषज्ञ समिति का समर्थन प्राप्त है।