देश को 10 साल बाद लोकसभा में विपक्ष का नेता मिल गया है। 2014 और 2019 में चूंकि कोई भी विपक्षी पार्टी लोकसभा चुनावों में इतनी सीटें नहीं जीत सकी थी कि उसे विपक्ष के नेता का पद मिल सके इसलिए यह पद खाली था। पिछली दो लोकसभा में पहले मल्लिकार्जुन खरगे और उनके बाद अधीर रंजन चौधरी एक तरह से विपक्ष का नेतृत्व कर रहे थे। लेकिन इस बार कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और उसने निर्णय लिया है कि उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनाये जाते ही भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है।साथ ही, भारत की राजनीति में उत्तर प्रदेश का कितना महत्व है इसे इस बात से समझ सकते हैं कि देश के प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सांसद हैं और विपक्ष के नेता भी इसी प्रदेश से सांसद चुने गये हैं। देखा जाये तो राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के रूप में बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिली है, यदि वह इसे सही से निभा पाये तो यकीनन प्रधानमंत्री बनने का उनका सपना भी पूरा हो सकता है। राहुल गांधी ने हालिया संपन्न लोकसभा चुनावों में जिन मुद्दों को उठा कर अपनी पार्टी को बड़ी बढ़त दिलाई, यदि वह उन मुद्दों को संसद में भी प्रभावी ढंग से उठा कर देश की जनता की समस्याओं का हल करवा पाये तो वह अपनी उस छवि से बाहर निकल सकते हैं जिसके तहत कहा जाता है कि राहुल गांधी गंभीर राजनीतिज्ञ नहीं हैं। वैसे विपक्ष का नेता बनते ही जिस तरह राहुल गांधी टी-शर्ट छोड़कर कुर्ते पायजामे में संसद भवन पहुँचे उससे उन्होंने काफी संकेत और संदेश दे दिये हैं।एक दिन पहले हाथ में संविधान की प्रति लेकर लोकसभा की सदस्यता की शपथ लेने वाले राहुल गांधी यदि संसदीय परम्पराओं को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष के नेता के रूप में सफल हुए तो भारतीय राजनीति में एक और नया मोड़ देखने को मिल सकता है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि पिछली लोकसभा के दौरान अदालती आदेश के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होने पर उनका सरकारी आवास वापस ले लिया गया था लेकिन इस बार वह बतौर विपक्ष के नेता बड़े सरकारी आवास के और कैबिनेट रैंक की सुविधाओं के हकदार होंगे। साथ ही राहुल गांधी अब प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कई महत्वपूर्ण चयन समितियों के भी सदस्य हो जाएंगे। यानि अब मोदी से उनका आमना सामना सिर्फ संसद में ही नहीं बल्कि कई समितियों में भी होगा। वैसे लोकसभा अध्यक्ष के रूप में ओम बिरला के निर्वाचन के समय राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से हाथ मिलाकर संकेत दिया है कि वह सकारात्मक और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।हम आपको बता दें कि इस बार उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए राहुल गांधी इससे पहले लोकसभा में केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के अमेठी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह पांचवीं बार लोकसभा पहुंचे हैं। कांग्रेस कार्य समिति ने गत आठ जून को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से आग्रह किया था कि वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालें। उस समय राहुल गांधी ने कार्य समिति के सदस्यों के विचार सुने थे और कहा था कि वह इस बारे में जल्द फैसला करेंगे।हम आपको यह भी बता दें कि राहुल गांधी ने साल 2004 में भारतीय राजनीति में कदम रखा और अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा। यह वही सीट थी जिसका प्रतिनिधित्व उनकी मां सोनिया गांधी (1999-2004) और उनके दिवंगत पिता राजीव गांधी ने 1981-91 के बीच किया था। राहुल गांधी लगभग तीन लाख मतों के भारी अंतर से जीते थे। 2009 में वह फिर जीते लेकिन 2014 में उनकी जीत का अंतर कम हो गया और 2019 में वह स्मृति ईरानी से हार गए थे। राहुल गांधी को 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था और 16 दिसंबर, 2017 को उन्होंने पार्टी की कमान संभाली। लोकसभा चुनावों में हार के बाद उन्होंने मई 2019 में अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। इसके बाद से राहुल गांधी ने देशभर में यात्राएं निकालीं। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के अलावा उन्होंने मणिपुर से मुंबई तक की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ भी की। कांग्रेस नेताओं ने राहुल की इन पहलों की पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों को प्रेरित करने के लिए सराहना की। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके राहुल गांधी के नेतृत्व में इस बार कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीती हैं।
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