राजस्थान सरकार में कृषि मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले किरोड़ी लाल मीणा का त्यागपत्र तो स्वीकार नहीं किया गया है लेकिन उनके विभागों का बंटवारा अन्य मंत्रियों को कर दिया गया है। हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने किरोडी लाल मीणा को मनाने का प्रयास किया था लेकिन वह विफल रहे। एक दिन पहले किरोडी लाल मीणा जब दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले तो जगत प्रकाश नड्डा ने भी भरसक प्रयास किया कि किरोडी लाल मीणा पद पर बने रहने के लिए मान जाएं लेकिन ऐसा हो नहीं सका। अब बताया जा रहा है कि जल्द ही किरोडी लाल मीणा की मुलाकात गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करवायी जा सकती है।वैसे तो किरोडी लाल मीणा मंत्री पद से इस्तीफा वापस नहीं लेने की बात पर अड़े हुए हैं लेकिन उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह इस्तीफा उस सूरत में वापस लेंगे जब उन्हें राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया जाये। हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल दिसंबर में राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद किरोडी लाल मीणा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को राज्य का नेतृत्व करने के लिए चुना था। इस बात की भी अटकलें हैं कि किरोडी लाल मीणा को राजस्थान भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।वैसे तो भाजपा कभी किसी मंत्री के इस्तीफा देने पर उसे इतना मनाती नहीं है लेकिन किरोडी लाल मीणा की शख्सियत ऐसी है कि पूरा भाजपा नेतृत्व उनके आगे हाथ जोड़ रहा है। पांच बार के विधायक और पूर्व राज्यसभा सदस्य किरोडी लाल मीणा दौसा और सवाई माधोपुर से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। वह राजस्थान के बड़े आदिवासी नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस के परंपरागत मीना वोट बैंक को भाजपा से जोड़ा। हम आपको यह भी बता दें कि किरोडी लाल मीणा बार-बार यही कह रहे हैं कि उनकी संगठन या मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है और उन्होंने अपनी उस सार्वजनिक घोषणा के कारण इस्तीफा दिया है कि अगर पार्टी उनके अधीन वाली लोकसभा सीटें हारती है तो वे इस्तीफा दे देंगे। दरअसल किरोडी लाल मीणा ने दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर, अलवर, टोंक-सवाई माधोपुर और कोटा-बूंदी समेत पूर्वी राजस्थान की सीट पर प्रचार किया था। भाजपा इनमें से भरतपुर, दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर और धौलपुर-करौली सीट कांग्रेस से हार गई।
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