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बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुआ हाईवे


शाहजहांपुर में दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर बृहस्पतिवार को आया बाढ़ का पानी शनिवार को कम होने के बाद छोटे वाहनों की चलना शुरू हो गया। रोडवेज बस भी चला दी गईं। हालांकि मुसीबतें कम नहीं हुई हैं और खतरा भी बना हुआ है। राजकीय मेडिकल कॉलेज में अब भी पानी भरे होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए फिलहाल 12 किमी दूर भावलखेड़ा सीएचसी ही जाना पड़ेगा। बरेली मोड़ के आसपास कॉलोनियों में जलस्तर कम जरूर हुआ है, मगर वहां के घरों में रहना अभी संभव नहीं है। शनिवार को गर्रा के साथ ही खन्नौत नदी में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ था।
कॉलोनियों में पानी हुआ कम तो सामान लेने पहुंचे
शाहजहांपुर में गर्रा नदी में जलस्तर घटने के बाद आवास-विकास, कांशीराम कॉलोनी समेत बरेली मोड़ के आसपास की अन्य कॉलोनियों में भरा पानी भी कम हुआ है। घर छोड़कर गए यहां के लोग शनिवार शाम जलस्तर दो फुट तक रहने पर जरूरत का अन्य सामान लेने पहुंचे और फिर वापस सुरक्षित स्थान पहुंच गए। अजोजगंज स्थित मोक्षधाम में अब भी पानी भरा होने के कारण वहां अंतिम संस्कार नहीं हो रहे हैं।
मार्गों पर आवागमन शुरू
बाढ़ का पानी कम होने के साथ शनिवार से तिलहर-निगोही मार्ग आवागमन फिर शुरू कर दिया गया। कांट-जलालाबाद, बीसलपुर-पीलीभीत मार्ग पर भी रोडवेज बसों व अन्य वाहनों का संचालन शुरू हो गया है। जलालाबाद व कलान तहसील से गुजरने वाली गंगा व रामगंगा के जलस्तर में भी कमी आई है। हालांकि उत्तराखंड के विभिन्न बांधों और बैराजों से अतिरिक्त पानी की निकासी बढ़ जाने से अगले 24 घंटे में इन दोनों नदियों में पानी बढ़ने से गांव के हालात बिगड़ने की आशंका है। यहां के गन्ना शोध संस्थान के मौसम वैज्ञानिक डॉ. मनमोहन सिंह ने रविवार को बूंदाबांदी और उसके बाद दो दिन झमाझम बारिश की आशंका जताई है।
खीरी में 200 गांव चपेट
उधर, लखीमपुर खीरी के दो सौ गांव अभी बाढ़ की चपेट में हैं। पलियाकलां क्षेत्र के अत्तरिया गांव के कई ग्रामीण छह दिनों से रेलवे क्रॉसिंग के पास ट्रॉलियों के नीचे डेरा डाले हैं। संपूर्णानगर और हजारा के बीच बन रहे निर्माणाधीन पुल का ऊपरी हिस्सा बहने और वैकल्पिक रास्ता कट जाने के कारण ग्रामीणों को नाव और ट्रैक्टर-ट्रॉली से ही आवागमन करना पड़ रहा है। जिले के 350 परिषदीय स्कूलों में अब भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। वहीं बदायूं की दातागंज तहसील क्षेत्र के 40 गांवों के तीन मार्ग पांचवें दिन भी जलमग्न रहे।
बाढ़ प्रभावित किसानों ने लगाया जाम
लखीमपुर खीरी में शारदा नदी की बाद में दूबे कई गांवों के किसानों और बाढ़ पीड़ितों ने पलियाकलां कस्बे में सिनेमा चौराहे पर शनिवार को धरना दिया। सड़क जाम कर हंगामा काटा। किसानों का आरोप था कि जब रेल लाइन कट रही थी, तब रेलवे के अधिकारियों ने बचाव नहीं किया। रेल लाइन कटने से गांव जलमग्न हो गए। जल्द रेल लाइन बनवाने के साथ ही फसलों के मुआवजे की मांग उठाई।
बाढ़ के पानी से क्षतिग्रस्त हुआ हाईवे, सड़कें भी कट गईं
बाढ़ के पानी तेज के बहाव के कारण शनिवार को नेशनल हाईवे पर आयकर विभाग के सामने सड़क कट गई। इससे वाहन बहुत संभालकर गुजारे गए। कोतवाली पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बैरियर लगाकर वाहनों को दूसरी लेन से पास कराया। वहीं बाढ़ की जद में आईं कई अन्य सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो गईं हैं। गर्रा नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद हाईवे पर पानी आने से यातायात अवरुद्ध हो गया था। पानी कम होने के बाद तीसरे दिन संचालन शुरू कराया गया। पानी कम होने के बाद सड़कों की दुर्दशा सामने आने लगी है। शनिवार को आयकर विभाग के सामने नेशनल हाईवे का बड़ा हिस्सा कट गया।इसके चलते वाहनों को संचालन कुछ देर के लिए रोक दिया। सूचना पर इंस्पेक्टर राजीव तोमर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वाहनों को रोकने के लिए बैरियर लगवाया, साथ ही गड्ढे को सही कराने को मिट्टी डलवाने का कार्य शुरू कराया। इस बीच दूसरी लेन से वाहनों को पास कराने का प्रयास शुरू किए। वहीं दूसरी ओर बाढ़ प्रभावित सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। जगह-जगह सड़कों के टूटने और कटने की तस्वीरें सामने आ रहीं हैं।

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